किसान आंदोलन की फंडिंग: कहां से मिल रहा पैसा, हो गया खुलासा

दिल्ली बॉर्डर पर बड़ी तादाद में किसानों का जमावड़ा है। लगातार सातवें दिन किसानों का प्रदर्शन जारी है। इस आंदोलन को पंजाब के डेमोक्रेटिक टीचर्स फेडरेशन ने सबसे ज्यादा मदद की है। 

Update: 2020-12-03 05:54 GMT
किसान आंदोलन की फंडिंग: कहां से मिल रहा पैसा, हो गया खुलासा

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों (Farm Law) के खिलाफ बड़ी तादाद में किसान प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं। कृषि कानून के खिलाफ सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा के किसानों ने आवाजें बुलंद की हैं। आज लगातार सातवें दिन भी किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसानों का साफ कहना है कि जब तक केंद्र सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर देती, तब तक वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे। अब ऐसे में सवाल ये भी खड़ा होता है कि आखिर किसानों के पास आंदोलन के लिए पैसा आ कहां से रहा है।

कौन उठा रहा खाने पीने का जिम्मा?

बता दें कि दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) पर बड़ी तादाद में किसानों का जमावड़ा है। आज सात दिन हो गए जब किसानों का आंदोलन जारी है। ऐसे में इन कृषियों के खाने पीने की जिम्मेदारी कौन उठा रहा है। तब इस मामले की जांच की गई तो सामने आया कि किसान आंदोलन का बहीखाता है। जी हं, हर गांव में साल में दो बार चंदा इकट्ठा किया जाता है। मिली जानकारी के मुताबिक, हर छह महीने में तकरीबन ढाई लाख रूपये तक चंदा इकट्ठा हो जाता है।

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फोटो- सोशल मीडिया

डेमोक्रेटिक टीचर्स फेडरेशन ने की सबसे ज्यादा मदद

बता दें कि इस आंदोलन को पंजाब के डेमोक्रेटिक टीचर्स फेडरेशन ने सबसे ज्यादा मदद की है। इस फेडरेशन की ओर से किसानों की सहायता के लिए दस लाख रुपये की आर्थिक मदद प्रदान की गई है। बताते चलें कि भारतीय किसान यूनियन उगराहां से करीब आठ हजार किसान अलग-अलग गाड़ियों से प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए पहुंचे हैं। इनमें से सभी किसानों का बहीखाता है। कौन सा किसान किस गाड़ी के साथ यहां पर पहुंचा है, उसका भी पूरा रिकॉर्ड मौजूद है।

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सभी जानकारी बहीखाते में होती है दर्ज

इसके अलावा किसानों पर कहां कितना खर्च किया जा रहा है। इस बारे में सभी जानकारी बहीखाते में दर्ज की जा रही है। जानकारी के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन उगराहां से संबंधित करीब 1400 गांव साल में दो बार चंदा इकट्ठा करते हैं। एक चंदा गेहूं की कटाई के बाद इकट्ठा किया जाता है। जबकि दूसरा धान की फसल के बाद जुटाया जाता है। पंजाब के गांवों में हर छह महीने में करीब ढाई लाख रुपये इकट्ठे हो जाते हैं।

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