आपको नहीं होगा पता, भाजपा राज में बदलीं बजट की ये परंपराएं

पीएम नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल सत्ता में दोबारा वापसी की है। मोदी सरकार ने बजट को लेकर कई परंपराओं में बदलाव किया है। पहले फरवरी के अंतिम दिन बजट पेश...

Update:2020-01-31 19:14 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल सत्ता में दोबारा वापसी की है। मोदी सरकार ने बजट को लेकर कई परंपराओं में बदलाव किया है। पहले फरवरी के अंतिम दिन बजट पेश किया जाता था मगर अब तारीख को बदलकर एक फरवरी कर दिया गया है। इसके साथ ही यह बदलाव भी किया गया है कि रेल बजट को भी खत्म करके आम बजट में ही शामिल कर दिया गया।

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वाजपेयी सरकार के समय से बजट पेश करने के समय में भी बदलाव किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगली एक फरवरी को अपना दूसरा बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री सुबह 11 बजे बजट पेश करेंगी। वैसे करीब दो दशक पहले तक बजट शाम पांच बजे तक पेश किया जाता था। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि केंद्रीय बजट शाम के समय क्यों पेश किया जाता था और कब से इसे 11 बजे से पेश किया जा रहा है।

 

इसलिए शाम को पेश होता था बजट

 

पहले शाम को पांच बजे पेश किए जाने के पीछे का कारण नई दिल्ली और लंदन के बीच टाइम जोन का गैप है। दरअसल, आजादी से पहले ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्डस के सदस्यों को भारत का बजट सुनना होता था।

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ऐसे में जब भारत में शाम के पांच बजते थे तो लंदन में सुबह के करीब 11 बज रहे होते थे। उनके लिए यह सहूलियत का समय होता था। अंग्रेजों के समय की यह परंपरा आजाद भारत में भी चलती रही।

अटल के कार्यकाल में बदला समय

बाद में अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र में सरकार बनने के बाद बजट पेश करने के समय में बदलाव की बात सोची गई और वाजपेयी सरकार के ही समय में बदलाव किया गया। तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने वर्ष 1999 में 11 बजे बजट पेश किए जाने की परम्परा शुरू की। इसके बाद से ही केंद्रीय बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाने लगा।

1955-56 से हिंदी में भी बजट

भारत के आजाद होने से पहले ब्रिटिश सरकार में भी बजट पेश किया जाता था। भारत में पहली बार बजट 18 फरवरी 1869 को पेश किया गया था, जो कि जेम्स विल्सन ने पेश किया था। आजाद भारत में नवंबर 1947 में देश के पहले वित्त मंत्री शनमुखम शेट्टी ने पहला बजट पेश किया था। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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1955-56 से बजट पेपर हिंदी में भी तैयार किए जा रहे हैं। इससे पहले भारत का बजट सिर्फ अंग्रेजी में छपता था। 1991 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद देश में पहली बार दो मंत्रियों ने अंतरिम और फाइनल बजट पेश किया था और वो दोनों अलग-अलग पार्टी से थे।

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