जाने कैसें पाकिस्तान में फंसे कुलभूषण जाधव, आज होगा बड़ा फैसला

कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में गिरफ्तारी के बाद से आज चार साल हो गये हैं। अब आज इस मामले में नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरार्ष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) फैसला सुनाएगा।

Update:2019-07-17 13:52 IST

नई दिल्ली : भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव (49) को पाकिस्तान ने 3 मार्च 2016 को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था और भारत को 25 मार्च को जाधव की गिरफ्तारी की खबर दी गई। जाधव को पाकिस्तान में गिरफ्तारी के बाद से आज चार साल हो गये हैं। अब आज इस मामले में नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) फैसला सुनाएगा।

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इस मौके के लिए पाकिस्तान के कानूनी विशेषज्ञों की एक टीम हेग पहुंच चुकी है। पाकिस्तान मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, रेडियो पाकिस्तान ने बताया है कि पाकिस्तान की कानूनी टीम का नेतृत्व देश के महान्यायवादी मंसूर खान कर रहे हैं। टीम के साथ पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल भी हेग पहुंच चुके हैं।

कुलभूषण जाधव केस

पाकिस्तान ने जाधव पर बहुत ही गम्भीर आरोप लगाया, जिसकी पुष्टि के लिए खुद पाकिस्तान के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है। सबूत के नाम पर पाकिस्तान ने जाधव से जबरन बयान लेकर एक वीडियो पोस्ट किया था।

जाधव ने वीडियों में कहीं ये बातें

वीडियो में जाधव ये कहते हुए बताया गया कि वह 1991 में भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे।

उन्होने कहा कि उन्होंने 1987 में नेशनल डिफेंस एकेडमी ज्वॉइन की थी।

वीडियों की टाइमिंग थी, इस वीडियो में जाधव ने ये भी बताया कि उन्होंने साल 2013 में रॉ (RAW) के लिए काम करना शुरू किया था।

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इतने सालों के बीच, भारत ने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के अफसरों की जाधव से मुलाकात करवाने के लिए 16 बार इजाजत मांगी थी, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने हर बार ठुकरा दिया। कुलभूषण जाधव की पत्नी चेतना और मां अवन्ति भी उनसे मिलने के लिए बार-बार गुहार लगाती रहीं। एक बार जब उनको जाधव से मिलने को दिया भी गया तो उनके साथ बहुत ही अपमानजनक व्यवहार किया गया। यहां तक जाधव की पत्नी से उनके सुहाग की निशानी मंगलसूत्र, बिन्दी, चूड़ियां उतरा दी गयी। उन्हे हिन्दी और मराठी भाषा बोलने के लिए भी मना किया गया।

ऐसे पहुंचे पाकिस्तान

कुलभूषण जाधव को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ़्तार किया गया था। भारत का दावा है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था, जहां उनका निजी व्यापार था।

जबकि पाकिस्तान का दावा है कि जाधव रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के एजेंट हैं, जबकि वह कानूनी तौर पर ईरान में अपना व्यापार करते थे। 25 मार्च 2016 को पाकिस्तान ने एक प्रेस रिलीज के जरिए भारतीय अधिकारियों को जाधव की गिरफ्तारी की जानकारी दी थी।

ICJ के पास पहुंचा केस

भारत की दलीलों और अनुरोधों का पाकिस्तान पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके बाद 10 अप्रैल 2017 को पाकिस्तानी सेना के जनसंपर्क विभाग (ISPR) ने एक प्रेस रिलीज के जरिये सूचित किया कि जाधव को एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई है।

पाकिस्तान के इस एक्शन के बाद 9 मई 2017 को अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कुलभूषण की फांसी पर रोक लगा दी। अंतरराष्ट्रीय अदालत में इस मामले में कई दौर में सुनवाई हुई, जहां कोर्ट में भारत और पाकिस्तान ने अपना-अपना पक्ष रखा।

भारत का तर्क है कि इस्लामाबाद ने जाधव तक राजनयिक पहुंच न देकर विएना संधि का उल्लंघन किया है। विएना संधि के अनुच्छेद 36 के तहत, अगर कोई विदेशी नागरिक गिरफ्तार किया जाता है या हिरासत में लिया जाता है तो उनके दूतावास को बिना किसी देरी के सूचना दी जानी चाहिए।

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दूसरी तरफ, पाकिस्तान भारत की विएना संधि के उल्लंघन की बात को पूरी तरह से खारिज करता रहा है। पाकिस्तान का मुख्य तर्क ये है कि जाधव एक भारतीय जासूस है जो पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाते हुए अवैध तरीके से घुसा था इसलिए राजनयिक पहुंच का सवाल ही नहीं उठता।

भारत को बहुत हैं उम्मीद, जाधव को मिलेगा न्याय

भारत और पाकिस्तान दोनों को यह पता है कि ICJ शायद ही कोई एकतरफा फैसला सुनाए। भारत चाहता है कि अगर जाधव की रिहाई संभव नहीं हो पाए तो उसका सिविल ट्रायल हो। दूसरी तरफ पाकिस्तान का कहना है कि अगर ICJ उसे वियना संधि के उल्लंघन का दोषी मानता है तो इस मामले में अदालती प्रक्रिया मौजूद है और पाकिस्तान हाई कोर्ट में अपील की जा सकती है।

अगर कोर्ट जाधव को भारतीय अधिकारियों से नहीं मिलने देने को लेकर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का दोषी ठहरता है तो यह भारत के लिए राहत भरी बात होगी और यह एक सांकेतिक जीत होगी। उसने मजबूती से कोर्ट में अपना पक्ष भी रखा है। भारत को यह बिल्कुल भी मंजूर नहीं कि जाधव को भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों के लिए काम करने वाला जासूस करार दिया जाए।

 

 

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