21वीं सदी का भारत अब टुकड़ों में नहीं, समग्र तरीके से सोचता है: पीएम मोदी
आयुष मंत्रालय 2016 से ही धन्वंतरि जयंती के मौके पर हर साल आयुर्वेद दिवस मनाता आ रहा है। इस साल यह शुक्रवार को मनाया जा रहा है।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद दिवस पर बोलते हुए कहा कि आयुर्वेद हमारी परंपरा है और कोरोना काल में आयुर्वेद की परंपरा से देश को फायदा मिला। कोरोना महामारी काल में हल्दी समेत कई अन्य चीजों में इम्यूनिटी बूस्टर का काम किया है।
उक्त बातें पीएम मोदी ने आज गुजरात के जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) के उद्घाटन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन, पारंपरिक दवाओं पर शोध को मजबूत करने के लिए भारत में पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर की स्थापना कर रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि देश में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। इसके साथ ही करीब सौ से अधिक जगहों पर आयुर्वेद की मेडिसिन को लेकर भी शोध कार्य चल रहा है।
आज दुनिया भर में लोग कोरोना काल में आयुर्वेद को लेकर बात कर रहे हैं, वह इसके बारे में जानना चाहते हैं। आयुर्वेद को लेकर दुनिया भर में शोध हो रहा है।
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दो राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थानों का उद्घाटन
बताते चलें कि आयुष मंत्रालय 2016 से ही धन्वंतरि जयंती के मौके पर हर साल आयुर्वेद दिवस मनाता आ रहा है। इस साल यह शुक्रवार को मनाया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंत्रालय के अनुसार संसद के कानून से हाल ही में बने जामनगर का आईटीआरएस विश्वस्तरीय स्वास्थ्य देखभाल केंद्र के रूप में उभरने वाला है । उसमें 12 विभाग, तीन क्लीनिकल प्रयोगशालाएं और तीन लेबोरेट्रीज हैं।
आयुष मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक आज उद्घाटन किए गए दोनों ही आयुर्वेद संस्थान देश में आयुर्वेद के प्रतिष्ठित संस्थान हैं।
जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान को संसद के कानून के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) का दर्जा प्रदान किया गया है, जबकि जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को विश्वविालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है।
21वीं सदी का भारत अब टुकड़ों में नहीं, समग्र तरीके से सोचता है
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत अब टुकड़ों में नहीं, समग्र तरीके से सोचता है। स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों को भी अब समग्र दृष्टिकोण के साथ उसी तरीके से ही सुलझाया जा रहा है।
मुझे विश्वास है कि हमारे साझा प्रयासों से आयुष ही नहीं, बल्कि आरोग्य का हमारा पूरा सिस्टम एक बड़े बदलाव का साक्षी बनेगा।
मुझे इस बात का भी विश्वास है कि हमारे साझा प्रयासों से आयुष ही नहीं, बल्कि आरोग्य का हमारा पूरा सिस्टम एक बड़े बदलाव का साक्षी बनेगा।डब्ल्यूएचओ ने पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र की स्थापना के लिए भारत को चुना है।
पीएम मोदी ने कहा कि बदलते समय के साथ आज हर चीज इंटीग्रेट हो रही है। स्वास्थ्य भी इससे अलग नहीं है। इसी सोच के साथ देश आज इलाज की अलग-अलग पद्धतियों के इंटीग्रेशन के लिए एक के बाद एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। इसी सोच ने आयुष को देश की आरोग्य नीति का अहम हिस्सा बनाया है।
ये हमेशा से स्थापित सत्य रहा है कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है। लेकिन ये भी उतना ही सही है कि ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में रहा है और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों में। इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है।
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