भोपाल: मध्य प्रदेश के चंबल-ग्वालियर अंचल की चार में से तीन लोकसभा सीटों पर मुकाबला कड़ा है। इस बार न तो पहले की तरह भाजपा की राह आसान है और न ही कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव के नतीजे दोहरा पाना। पांच माह पहले विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने इस अंचल से भाजपा का लगभग सफाया कर दिया था और उसके अधिकांश मंत्री चुनाव हार गए थे।
ग्वालियर, भिण्ड एवं मुरैना तीनों ही सीटों पर कांग्रेस एवं भाजपा ने जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भिण्ड सीट पर 30 वर्ष से, मुरैना पर 25 वर्ष से एवं ग्वालियर सीट पर 12 वर्ष से भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस के समक्ष इन तीनों सीटों पर कब्जा करने की चुनौती है वहीं भाजपा का लक्ष्य हर स्थिति में इन सीटों पर एक बार फिर जीत के सिलसिले को दोहराना है।
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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इस आधार पर ही जीत की उम्मीद कर रही है पर इस राह में अड़चन बसपा की मौजूदगी एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जा रहा चुनाव है। सिर्फ एक सीट गुना ही ऐसी है, जहां कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया सब पर भारी हैं। उन्होंने बसपा प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह राजपूत धाकड़ को पहले ही कांग्रेस में शामिल करा लिया है। इससे बसपा सुप्रीमो मायावती कांग्रेस से नाराज है जिसका असर अंचल की दूसरी सीटों पर देखने को मिल सकता है।
भिंड लोकसभा सीट में कड़े मुकाबले के आसार हैं जहां भाजपा ने पूर्व विधायक संध्या राय को टिकट दिया है। क्षेत्र में उन्हें बाहरी माना जा रहा है और भाजपा के पूर्व सांसद अशोक अर्गल ने विरोध का झंडा उठा रखा है। उनकी कांग्रेस तक में शामिल होने की अटकलें थीं पर बात नहीं बनी। कांग्रेस ने देवाशीष जरारिया को टिकट दिया है जो नया चेहरा हैं। इसकी वजह से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में नाराजगी है। इस लिहाज से इस सीट में भाजपा और कांग्रेस में भितरघात का खतरा बना हुआ है। लगातार शिकायतें आ रही हैं कि दोनों तरफ अपने ही पार्टी प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बसपा की ओर से बाबूराम जामोर मैदान में हैं। जामोर की मौजूदगी से भिंड में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनी हुई है।
बसपा का लंबे समय से चंबल-ग्वालियर में असर है। यहां उसके विधायक जीतते हैं और लोकसभा चुनाव में कई बार बसपा प्रत्याशी मुकाबले में भी रहते हैं पर पार्टी यहां कभी लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सकी। मुरैना में पिछले चुनाव में बसपा दूसरे नंबर पर थी लेकिन इस बार राम लखन सिंह कुशवाह को प्रत्याशी घोषित करने के बाद उसे बदलना पड़ा और उनके स्थान पर करतार सिंह भड़ाना को टिकट दिया गया। इसी प्रकार ग्वालियर के घोषित प्रत्याशी बलवीर सिंह कुशवाह एक मामले में गिरफ्तार हो गए तो टिकट बदलकर उनकी पत्नी को मैदान में उतारा गया। गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र के बसपा प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह राजपूत ने तो पार्टी ही छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। इस लिहाज से बसपा को चुनाव से पहले ही इस अंचल में कई झटके लग गए।
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तोमर त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे
मुरैना में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। वह ग्वालियर छोड़ कर मुरैना पहुंचे हैं जबकि पिछले चुनाव में वह मुरैना छोड़ कर ग्वालियर गए थे। मुरैना में सांसद अनूप मिश्रा का टिकट काटा गया है जिससे क्षेत्र का ब्राह्मण भाजपा से नाराज है। इस सीट से चार बार सांसद रहे अशोक अर्गल भाजपा से पहले ही नाराज हैं। अर्गल मुरैना के महापौर भी हैं। इस नाराजगी के अलावा विधानसभा में मुरैना क्षेत्र की 8 में से 7 सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। कांग्रेस ने यहां विधानसभा का चुनाव हारे रामनिवास रावत को मैदान में उतारा है जबकि बसपा से करतार सिंह भड़ाना मैदान में हैं। पिछले चुनाव में यहां बसपा दूसरे नंबर पर रही थी।
नरेंद्र सिंह तोमर के मुरैना चले जाने के बाद भाजपा ने महापौर विवेक शेजवलकर को ग्वालियर से मैदान में उतारा है। कांग्रेस से एक बार फिर अशोक सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। नरेंद्र मोदी की आंधी में तोमर के मुकाबले अशोक सिंह मामूली अंतर से पिछला चुनाव हारे थे। इस सीट में भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है और आठ में से सात सीटों में जीत दर्ज की है। इस लिहाज से भाजपा का पलड़ा भारी है। अशोक सिंह तीन चुनाव लड़ चुके हैं, इसलिए उनके प्रति लोगों में सहानुभूति भी है जबकि शेजवलर के महापौर होने के कारण उनके प्रति लोगों में कुछ नाराजगी है। बसपा ने ग्वालियर से ममता कुशवाह को मैदान में उतारा है। पहले ममता के पति बलवीर कुशवाह को बसपा का टिकट मिला था लेकिन एक मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद बसपा ने ममता को टिकट दे दिया। बहरहाल बसपा को यहां वोट कटवा माना जा रहा है और भाजपा-कांग्रेस के अनुभवी नेताओं में रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है।
प्रतिष्ठा का सवाल बनी गुना-शिवपुरी सीट
मध्य प्रदेश में सबसे हॉट सीट में गुना-शिवपुरी शामिल है। यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और वर्तमान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभुत्व वाला क्षेत्र है। यहां नेता-कार्यकर्ता पूरी ताकत के साथ लोकसभा के प्रत्याशी को विजयी बनाने के लए जुटे हुए हैं। गुना-शिवपुरी से वर्तमान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी केपी यादव से है जो पहले खुद सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं। संभवत: भाजपा ने कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए केपी यादव को इसलिए गुना-शिवपुरी लोकसभा से प्रत्याशी बनाया क्योंकि यहां लगभग 2 लाख यादव समुदाय के वोट बैंक और भाजपा के परंपरागत वोटों का आधार भी है। ऐसे में यदि यह एकजुट वोट भाजपा प्रत्याशी को मिलते है तब संभावना है कि कांग्रेस के लिए यह मुसीबत की घड़ी होगी लेकिन सांसद सिंधिया भी राजनीति के महारथियों में शामिल है उन्हें सब पता होने के बाद भी वह सक्रिय रूप से क्षेत्र में अपने प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़़ रहे। सिंधिया को पराजित करने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है। जहां एक ओर सांसद सिंधिया खुद कांग्रेस पार्टी की ओर से स्टार प्रचारक हैं तो भाजपा ने नरेन्द्र मोदी की लहर पर सवार होकर स्टार प्रचारकों को यहां चुनावी मैदान में लगा दिया है।