Maharashtra Politics: SC ने उद्धव-शिंदे खेमे की लड़ाई को माना संवेदनशील, हो सकता है 5 जजों की संविधान पीठ का गठन

महाराष्ट्र की प्रमुख पार्टी शिवसेना में सियासी उठापटक मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। आज CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी तथा जस्टिस हिमा कोहली की बेंच में सुनवाई हुई।

Written By :  aman
Update: 2022-07-20 07:49 GMT

सुप्रीम कोर्ट में उद्धव-शिंदे खेमे की लड़ाई

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियासी उठापटक जारी है। राज्य के प्रमुख राजनीतिक दल शिवसेना (Shiv Sena) के आंतरिक घमासान पर बुधवार (20 जुलाई 2022) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana), जस्टिस कृष्ण मुरारी (Justice Krishna Murari) और जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की बेंच ने की। सीनियर लॉयर कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने उद्धव ठाकरे गुट की ओर से बहस की। जबकि, एकनाथ शिंदे खेमे के वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) रहे।

सुप्रीम अदालत में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, कि 'राज्यपाल को इस मामले में पक्ष बनाया गया है। इसलिए उन्हें लेकर शब्दों का चयन याचिकाकर्ता को सही तरीके से करना होगा। इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि, वो 01 अगस्त 2022 को मामले की अगली सुनवाई करेगा।

SC - सभी पक्ष दें हलफनामा

आज अदालत ने सभी पक्षों को हलफनामा दायर (Affidavit Filed) करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि, शिंदे खेमे तथा उद्धव ठाकरे गुट के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। जिसके बाद, महाराष्ट्र के गवर्नर की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने अदालत को भरोसा दिया किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होगी।

SC कर सकता है 5 जजों की संविधान पीठ का गठन

महाराष्ट्र के सियासी घमासान की सुनवाई के लिए पांच जजों की संविधान पीठ (Constitution Bench of Five Judges) का गठन हो सकता है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जरूरत की तरफ इशारा किया। कोर्ट ने कहा, कि 'इस मामले में कई संवैधानिक मुद्दे (Constitutional Issues) हैं, जिसके लिए बड़ी बेंच के गठन की जरूरत है। वहीं, दूसरी तरफ, सर्वोच्च अदालत ने सभी पक्षों को अगले बुधवार तक संवैधानिक सवाल दाखिल करने को कहा। बता दें कि, आगामी 01 अगस्त को इस मामले पर अगली सुनवाई होगी। तब तक अयोग्यता पर कार्यवाही नहीं होगी। 

चीफ जस्टिस ने कही महत्वपूर्ण बात

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) ने कहा कि, 'विधायक दल के नेता को हटाने की प्रक्रिया विधायक दल (Legislature Party) के अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने कहा, उस नेता को चुनने में अधिकांश मेंबर की राय होती है।' जिसके जवाब में उद्धव खेमे के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि, 'नेता तय करने के लिए उन्हें विधायक दल की बैठक करनी होगी। लेकिन, इसके बजाय वे कहीं और बैठ गए। कहा, कि नेता बदल दिया गया।'

कोर्ट ने पूछा- CM के MLA उनके साथ नहीं रहना चाहते तो क्या होगा?

आज सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा कि, '40 लोग ये नहीं कह सकते कि वो पार्टी हैं। उन्होंने कहा कि, एकनाथ शिंदे ये तय नहीं कर सकते की वो पार्टी के नेता हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मान लीजिए मुख्यमंत्री के विधायक उसके साथ नहीं रहना चाहते, ऐसी स्थिति में क्या होगा? कपिल सिब्बल ने कहा, कि शिंदे ये नहीं कह सकते कि वही पार्टी के नेता हैं। वो चुने हुए नेता को हटा नहीं सकते।'

'यह राजनीतिक संवेदनशील मामला'

शिवसेना के एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट की तरफ से पैरवी कर रहे वकील हरीश साल्वे ने कहा कि, 'अयोग्यता के नियम शिंदे मामले में लागू नहीं होता। क्योंकि, अगर किसी पार्टी में दो खेमे होते हैं तथा जिसके पास ज्यादा संख्या होती है, वही कहता है कि अब मैं लीडर हूं। अगर स्पीकर मानता है तो ये अयोग्यता में कैसे आएगा?शिवसेना के एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट की तरफ से पैरवी कर रहे वकील हरीश साल्वे ने कहा कि, 'अयोग्यता के नियम शिंदे मामले में लागू नहीं होता। क्योंकि, अगर किसी पार्टी में दो खेमे होते हैं तथा जिसके पास ज्यादा संख्या होती है, वही कहता है कि अब मैं लीडर हूं। अगर स्पीकर मानता है तो ये अयोग्यता में कैसे आएगा?

कोर्ट ने माना संवेदनशील मामला 

आज इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमना ने कहा कि, हरीश साल्वे (Harish Salve) हम आपको सुनेंगे। मगर, हमारे मन में कुछ सवाल हैं? कोर्ट ने कहा, 'ये राजनीतिक रूप से संवेदनशील केस है। सवाल है कि अगर स्प्लिट नहीं हुआ तो इसका क्या प्रभाव हुआ है?

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