Abhishek vs CM Mamata: अभिषेक का पर कतरने की ममता की कोशिश, पार्टी में अपने आदेश को बताया अंतिम, TMC में फिर दिख रहा टकराव
Abhishek vs CM Mamata: ममता बनर्जी ने हाल के दिनों में पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिए तीन अनुशासन कमेटियों का भी गठन किया है।;
Abhishek vs CM Mamata: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी पार्टी पर अपना पूरा प्रभुत्व कायम रखने की कोशिश में जुटी हुई हैं। दरअसल पार्टी में नए और पुराने नेतृत्व के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति दिख रही है और ऐसे में ममता बनर्जी ने साफ संदेश दिया है कि प्रशासन और संगठन से जुड़े मामलों में उनका फैसला ही अंतिम होगा।
ममता बनर्जी का यह रुख पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को राज्य का उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री बनाए जाने की मांग के बाद सामने आया है। ममता बनर्जी के इस रुख से साफ हो गया है कि वे पार्टी में नए और पुराने नेतृत्व के बीच बढ़ते टकराव को खत्म करने का प्रयास कर रही हैं। इसके साथ ही वे पार्टी को पूरी तरह अपने नियंत्रण में रखना चाहती हैं। इसे अभिषेक बनर्जी का कद घटाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है।
टीएमसी में फिर दिख रहा टकराव
दरअसल पिछले दिनों कोलकाता में टीएमसी के पार्षद सुशांत घोष पर हुए हमले के बाद पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने पुलिस की तीखी आलोचना की थी। पुलिस की कार्यप्रणाली पर हमला करने वालों में पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद सौगत राय और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम भी शामिल थे।
इसके बाद ममता सरकार के पूर्व मंत्री और भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर ने भी बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को राज्य का डिप्टी सीएम और गृह मंत्री बनाया जाना चाहिए। हुमायूं कबीर की ओर से दिए गए इस बयान के बाद पार्टी में चल रहा नए और पुराने नेतृत्व का टकराव एक बार फिर सामने आ गया है।
सीआईडी प्रमुख को हटा कर दिया बड़ा संकेत
इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि सरकार और संगठन से जुड़े मामलों में उनका फैसला ही अंतिम होगा। इसके जरिए उन्होंने यह संदेश दिया है कि वे इन दोनों से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगी। इस बीच ममता बनर्जी ने बड़ा कदम उठाते हुए सीआईडी प्रमुख आर राजशेखरन को उनके पद से हटा दिया है।
उन्हें एडीजी के पद पर भेज दिया गया है। सीआईडी प्रमुख को पद से हटाने के साथ ही ममता बनर्जी ने यह संकेत दे दिया है कि आने वाले दिनों में वे अपनी कैबिनेट और पश्चिम बंगाल पुलिस में भी बड़ा बदलाव कर सकती हैं।
ममता बनर्जी ने हाल में कहा था कि सीआईडी का पूरी तरह पुनर्गठन किया जाएगा। ममता बनर्जी के इस कदम को उनकी उसी घोषणा से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले महीने राज्य के वरिष्ठ अफसरों की बैठक के दौरान भी ममता बनर्जी ने तीखे तेवर दिखाए था।
उनका कहना था कि भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ममता ने साफ कर दिया था कि राजनीतिक पहुंच वाले अफसरों को किसी भी प्रकार की गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए।
पार्टी में अभिषेक बनर्जी की भूमिका हुई सीमित
ममता बनर्जी ने हाल के दिनों में पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिए तीन अनुशासन कमेटियों का भी गठन किया है। पार्टी में अभिषेक बनर्जी को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाकर एक अतिरिक्त भूमिका जरूर दी गई है मगर पार्टी के मामलों में उनकी भूमिका को सीमित भी कर दिया गया है।
पार्टी के पुराने नेताओं ने अभिषेक बनर्जी की नेतृत्व शैली और संगठन में बदलाव के लिए की गई उनकी सिफारिशों पर आपत्ति जताई थी जिसके बाद यह कदम उठाया गया है।
अभिषेक बनर्जी का कहना था कि प्रदर्शन के आधार पर जिला अध्यक्षों में बदलाव किया जाना चाहिए। ममता बनर्जी ने यह भी साफ कर दिया है कि पार्टी के संसदीय मामलों से जुड़े फैसले पार्टी के वरिष्ठ सांसदों डेरेक ओ ब्रायन,कल्याण बनर्जी और सुदीप बनर्जी की ओर से लिए जाएंगे।
भाजपा और कांग्रेस ने कसा तंज
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के भीतर चल रही इस खींचतान पर भाजपा और कांग्रेस ने तंज भी कसा है। भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि टीएमसी में ममता बनर्जी अभिषेक बनर्जी को काबू में रखने की कोशिश में जुटी हुई हैं। पार्टी में अभिषेक का कद बढ़ गया है जिसके बाद ममता बनर्जी ने उनकी ताकत को सीमित करने की दिशा में कदम उठाया है।
कांग्रेस नेता सौम्या एच रॉय ने भी कहा कि ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के बीच चल रहा टकराव अब सार्वजनिक रूप से उजागर हो चुका है। ममता बनर्जी अब अभिषेक बनर्जी का प्रभाव कम करने की कोशिश में जुटी हुई हैं मगर उनके लिए यह करना अब संभव नहीं रह गया है।
भाजपा और कांग्रेस की ओर से दिए गए इस बयान से साफ हो गया है कि ममता और अभिषेक के बीच चल रहा टकराव अब पश्चिम बंगाल के सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। दूसरी पार्टियां भी अब इस टकराव को लेकर तृणमूल कांग्रेस पर हमलावर हैं।