कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी 23 जून को जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि मना रही हैं। तृणमूल कांग्रेस पहली बार ये काम कर रही है जिसे बड़े सियासी बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। इससे वामपंथी दल और कांग्रेस का ये आरोप पुख्ता होता नजर आ रहा है जिसमें कहा जाता है कि बीजेपी और टीएमसी का एजेंडा एक ही है।
यह भी पढ़ें: घाटी में महिलाओं का ग्रुप कर रहा आईएसआईएस का प्रचार
ममता सरकार के सूचना और संस्कृति विभाग के मुताबिक, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर दक्षिण कोलकाता के केवड़ातल्ला में होने वाले कार्यक्रम में मंत्री फिरहद हकीम और सोवनदेब चट्टोपाध्याय शामिल हो रहे हैं। इस पर किसी तरह की राजनीति से इंकार करते हुए तृणमूल कांग्रेस नेता माला राय ने कहा कि महान हस्तियों को सम्मान देना पार्टी की परंपरा है, हम संस्कृति में विश्वास रखते हैं। इसी के चलते शनिवार को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति के साथ की तोड़फोड़
त्रिपुरा में लेनिन की दो मूर्तियां गिराए जाने के विरोध में लेफ्ट पार्टियों के कुछ कार्यकर्ताओं ने कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति के साथ तोड़फोड़ कर दी थी। इसके बाद सरकार ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था। ममता सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की नई मूर्ति लगवाई है। इसी का अनावरण शनिवार को हुआ।
तृणमूल नेता सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी बीजेपी के साम्प्रदायिक एजेंडे को कभी स्वीकार नहीं करते। भाजपा धर्म से राजनीति को जोड़ने में लगी है। इस पर बीजेपी नेता प्रताप बनर्जी ने कहा, ''टीएमसी हमसे डर गई है। उसे हर तरफ बीजेपी का भूत नजर आ रहा है, इसलिए सरकार अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद करने में लगी है। माकपा ने इसे तृणमूल और बीजेपी की मिलीभगत बताया है।