Vande Bharat Train को लेकर याचिका पर भड़के CJI, याचिकाकर्ता से कहा- 'ये सुप्रीम कोर्ट है पोस्ट ऑफिस नहीं'
Petition on Vande Bharat Train: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से नाराज होकर कहा कि, 'आपने अदालत को पोस्ट ऑफिस समझ रखा है क्या?' जानें क्या है पूरा मामला....
Petition on Vande Bharat Train: देश की अदालतों में लाखों मामले पेंडिंग हैं। ऐसे में कभी-कभी अदालत के दरवाजे पर ऐसे मामले भी दस्तक देते हैं, जो आपको हैरत में डाल देंगे। इसी तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जिसे देखते ही जस्टिस आग बबूला हो गए। दरअसल, केरल (Kerala) के एक वकील का ऐसा ही मामला सामने आया जिसकी सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता से नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा, आपने अदालत को पोस्ट ऑफिस समझ रखा है क्या?
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), जस्टिस पीएस नरसिम्हा (Justice PS Narasimha) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) केरल के एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। उस वकील की चाहत थी कि कोर्ट वंदे भारत ट्रेन (vande bharat train) को उनके गृह जिले में भी रुकने का आदेश सुनाए। बस क्या था, न्यायाधीश भड़क गए और तल्ख़ तेवर में जवाब दिया।
CJI की फटकार- ट्रेन कहां रुकेगी ये तय करें?
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता पीटी शीजिश (PT Sheejish) को उनकी याचिका के लिए फटकार लगाई। उन्होंने कहा, 'आप चाहते हैं कि हम तय करें कि वंदे भारत ट्रेन कहां रुकेगी? इसके बाद हमें दिल्ली-मुंबई राजधानी (Delhi-Mumbai Rajdhani) को रोकने पर काम करना चाहिए। ये नीति से जुड़ा मामला है। आप अधिकारियों के पास जाएं।'
मलप्पुरम में ट्रेन नहीं रुकना राजनीतिक मसला !
शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ता ने बहस के दौरान कहा, 'कम से कम सुप्रीम कोर्ट को सरकार से इस बारे में विचार करने को कहना चाहिए। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया, वो हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इससे ऐसा प्रतीत होगा कि इस मामले में अदालत ने संज्ञान लिया है। तब याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि, मलप्पुरम (Malappuram) घनी आबादी वाला इलाका है। लोग यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर ही निर्भर हैं। बावजूद इसके जिले के लिए एक भी स्टॉप आवंटित नहीं किया गया।'
... तो हाई स्पीड ट्रेन का मकसद क्या रह जाएगा?
याचिकाकर्ता की बार-बार दलील पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, 'ट्रेन के लिए स्टॉप निर्धारित करने का फैसला भारतीय रेलवे का होता है। किसी भी शख्स को यह मांग करने का कोई अधिकार नहीं है कि, किसी विशेष ट्रेन (special train) को किसी विशेष स्टेशन पर रुकना चाहिए। सीजेआई ने कहा, पता चला कि हर एक जिले में कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के रेलवे स्टेशन पर स्टॉपेज उपलब्ध कराने के लिए हंगामा करने लगा। तो फिर, हाई स्पीड ट्रेन (High Speed Train) चलाने का मकसद ही क्या रह जाएगा।'