मणिपुर शर्मनाक कांड: आदमखोर मानसिकता महिलाओं के कपड़े उतारने वाले दोषियों की, क्यों करते हैं ऐसा?
Manipur Horror Video: ये कौन से पुरुष हैं जो सड़क पर स्त्री को निर्वस्त्र करके घुमाते रहे, रेप किया? मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि यौन उत्पीड़न करने वाला कोई भी व्यक्ति हो सकता है। कोई एक विशिष्ट प्रकार नहीं है जो इस प्रकार के अपराध करता है।
Manipur Horror Video: मणिपुर में महिलाओं को निवस्त्र करके सड़कों पर घुमाना, फिर गैंगरेप करना। इस घटना ने सबको हिला कर रख दिया है। जिस आदमखोर भीड़ ने ये सब किया उसमें कोई सैकड़ों लोग शामिल थे। यही नहीं, पुलिसवालों ने ही उन पीड़ित महिलाओं को भीड़ के हवाले कर दिया था।
किस मानसिकता के हैं ऐसे लोग? क्यों करता है कोई इंसान इस तरह की हरकत? किसी संघर्ष में, युद्ध में या हमले में खासकर महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि रेप और इस तरह निर्वस्त्र करना अपने शिकार का अल्टीमेट अपमान करना और खुद की श्रेष्ठता साबित करने के टूल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ये हत्या से बढ़ कर है जिसके जरिये ऐसा मानसिक दमन किया जाता है ताकि उसका इम्पैक्ट सिर्फ पीड़ित पर ही नहीं बल्कि उसके समुदाय और समाज पर पड़े। ऐसी घटना की शिकार पीड़ित को आत्म-घृणा, आत्म-दोष और क्रोध की भावनाओं के साथ छोड़ देता है, और उनमें पोस्ट-ट्रॉमेटिक सिंड्रोम विकार का कारण बन जाता है।
कौन होते हैं ऐसे लोग
ये कौन से पुरुष हैं जो सड़क पर स्त्री को निर्वस्त्र करके घुमाते रहे, रेप किया? मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि यौन उत्पीड़न करने वाला कोई भी व्यक्ति हो सकता है। कोई एक विशिष्ट प्रकार नहीं है जो इस प्रकार के अपराध करता है। दरअसल, अमेरिकी क्लिनिकल एसोसिएशन के अध्ययनों से पता चलता है कि यौन अपराधियों में कुछ सामान्य विशेषताएं होती हैं : किसी के प्रति सहानुभूति की कमी, आत्ममुग्धता, महिलाओं के प्रति शत्रुता की भावना, मर्दानगी का दम्भ।
मनोविज्ञान की प्रोफेसर शेरी हैम्बी के अनुसार यौन हमला यौन संतुष्टि या यौन रुचि के बारे में नहीं है, बल्कि लोगों पर हावी होने के बारे में है। खासकर किसी संघर्ष के क्षेत्र में इसे एक टूल के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। ये भी देखा गया है कि सामूहिक यौन हिंसा के दोषी ऐसे लोग भी होते हैं जो पीड़ितों के करीबी जानने वाले, पड़ोसी या मित्र रहे होते हैं। मणिपुर की एक पीड़ित महिला ने कहा भी है कि उसके साथ घिनौनी हरकत करने वालों में उसके भाई का एक दोस्त भी शामिल था।
मनोवैज्ञानिक युद्ध
सशस्त्र संघर्ष के दौरान दुश्मन को अपमानित करने के लिए यौन हिंसा और उत्पीड़न को अक्सर मनोवैज्ञानिक युद्ध के साधन के रूप में उपयोग किया जाता है। यौन हिंसा को नरसंहार के रूप में भी पहचाना जा सकता है जब यह किसी खास समूह को पूर्ण या आंशिक रूप से नष्ट करने के इरादे से किया गया हो। मणिपुर की घटना बेहद शर्मनाक और स्तब्धकारी है क्योंकि इस तरह के वाकये पहले शायद ही हमारे बीच हुए हों। ये बेहद गंभीर चेतावनी है।