Big Plane Crash History: कहानी कनिष्क विमान की, विस्फोट ने ली 329 लोगों की जान, इतिहास का खतरनाक हादसा

Air India Flight Disaster Story: फ्लाइट 182 पर हमला खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा बदले की कार्रवाई का हिस्सा था। इसकी योजना बब्बर खालसा के नेता तलविंदर सिंह परमार और उसके साथियों ने बनाई थी।

Written By :  AKshita Pidiha
Update:2024-12-26 19:44 IST

Kanishka Bombing Air India Flight Disaster Story 

Air India Flight Disaster Story: एयर इंडिया फ्लाइट 182, बोइंग 747-237B विमान, 23 जून,1985 को मॉन्ट्रियल (कनाडा) से नई दिल्ली (भारत) के लिए उड़ान पर था। इस फ्लाइट में 329 लोग सवार थे, जिनमें 268 कनाडाई, 27 ब्रिटिश और 24 भारतीय नागरिक थे। यह विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर आयरलैंड के पास विस्फोट के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में सभी यात्रियों और चालक दल की मौत हो गई। यह घटना एक आतंकी हमले का नतीजा थी।इसे भारतीय इतिहास की सबसे घातक विमान त्रासदियों में से एक माना जाता है।

घटना की पृष्ठभूमि

1980 के दशक में, भारतीय पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया था। ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984) के दौरान भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर में घुसे सिख आतंकवादियों को निकालने के लिए सैन्य कार्रवाई की थी। इससे खालिस्तान समर्थकों में गुस्सा बढ़ा।


इस गुस्से का केंद्र कनाडा बन गया, जहाँ बड़ी संख्या में खालिस्तानी समर्थक रह रहे थे। फ्लाइट 182 पर हमला खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा बदले की कार्रवाई का हिस्सा था। इसकी योजना बब्बर खालसा के नेता तलविंदर सिंह परमार और उसके साथियों ने बनाई थी।

हमले की योजना

परमार और उसके सहयोगी, जैसे इंद्रजीत सिंह रेयात, ने विस्फोटक उपकरण तैयार किए। उन्होंने योजना बनाई कि इन बमों को टाइमर के जरिए फ्लाइट के अलग-अलग हिस्सों में रखा जाएगा, ताकि बम यात्रा के दौरान फटें और विमान नष्ट हो जाए।


हमलावरों ने अलग-अलग टिकट बुक किए और बमों को कैरी-ऑन सामान के रूप में चेक-इन किया। उन्होंने मॉन्ट्रियल से दो अलग-अलग उड़ानों के जरिए इन बमों को स्थानांतरित किया।

कनिष्क विमान हादसा: बम धमाके की साजिश और घटनाक्रम

कनिष्क विमान में बम धमाका मॉन्ट्रियल से उड़ान भरने के 45 मिनट के भीतर हुआ था। एक रिपोर्ट के अनुसार, मॉन्ट्रियल में मंजीत सिंह नामक एक व्यक्ति सूटकेस के साथ विमान में आया था। लेकिन उड़ान के समय वह विमान में सवार नहीं हुआ। बम इसी सूटकेस के जरिए विमान में पहुंचाया गया था।

कुछ रिपोर्टों के अनुसार, हमलावरों ने उसी दिन एयर इंडिया के एक अन्य विमान में धमाका करने की योजना भी बनाई थी। लेकिन उनकी यह योजना सफल नहीं हो सकी। 23 जून,1985 को जापान के नरीता एयरपोर्ट पर दो कैरियर हैंडलर एक फ्लाइट से सूटकेस उतार रहे थे।


इस सूटकेस पर एयर इंडिया फ्लाइट का टैग लगा था और यह वैंकूवर से आया था। जब हैंडलरों ने इसे उठाया, तो उसमें धमाका हो गया, जिससे दोनों की मौत हो गई।

यह घटना कनिष्क विमान हादसे से जुड़ी दूसरी साजिश का हिस्सा थी, जो आंशिक रूप से विफल हो गई थी। इसने साबित किया कि हमलावरों ने एयर इंडिया को निशाना बनाकर व्यापक आतंकवादी योजना बनाई थी।

दुर्घटना कैसे हुई

23 जून,1985 को, फ्लाइट 182 आयरलैंड के तट से 31,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रही थी। उसी समय, एक बम विमान के कार्गो होल्ड में फटा। यह विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि विमान के टुकड़े-टुकड़े हो गए। विमान के गिरने से सभी 329 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई।


दूसरा बम जापान के टोक्यो नारिता एयरपोर्ट पर रखा गया था, जो जापान एयरलाइंस की एक फ्लाइट में विस्फोट के लिए तैयार था। हालांकि, यह बम समय से पहले ही फट गया, जिससे दो बैगेज हैंडलर्स की मौत हो गई।

जांच और जिम्मेदारियों की पहचान

हमले के बाद, विभिन्न समूहों जैसे कश्मीर लिबरेशन आर्मी, दशमेश रेजिमेंट और ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन ने इस हमले की जिम्मेदारी लेने का दावा किया। भारत सरकार ने जस्टिस बी.एन. कृपाल की अध्यक्षता में एक जांच टीम गठित की। टीम ने पाया कि यह हमला सिख अलगाववादियों की सोची-समझी साजिश थी, जो 1984 में स्वर्ण मंदिर पर भारतीय सेना के ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेना चाहते थे।


इस हमले की जांच कनाडा, भारत और अन्य देशों ने मिलकर की। जांच से पता चला कि बब्बर खालसा संगठन और इसके नेता तलविंदर सिंह परमार इस घटना के मुख्य साजिशकर्ता थे। इंद्रजीत सिंह रेयात ने बम बनाने में मदद की थी।रेयात को 2003 में एक बम बनाने और झूठे बयान देने के लिए दोषी ठहराया गया। हालांकि, परमार को जांच के दौरान भारत में पुलिस द्वारा मार दिया गया था।

अदालत की सजा

2000 में, वैंकूवर के व्यापारी रिपुदमन सिंह मलिक और मजदूर अजायब सिंह बागरी को सामूहिक हत्या और साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया। हालांकि, 2005 में, सबूतों की कमी और गवाहों की विश्वसनीयता पर सवाल उठने के कारण उन्हें बरी कर दिया गया।

इंद्रजीत सिंह रेयात को बमबारी में शामिल होने के आरोप में दोषी ठहराया गया और उसे अलग-अलग मामलों में जेल की सजा हुई। 1991 में जापान बमबारी के लिए उसे 10 साल की सजा हुई और 2003 में फ्लाइट 182 पर हमले के लिए पांच साल की सजा सुनाई गई। 2016 में रेयात को नौ साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया गया। यह निर्णय विवादित रहा क्योंकि कई विशेषज्ञों ने इसे पीड़ितों के साथ अन्याय करार दिया।


कनाडा सरकार, उसकी इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियां अगर भारत द्वारा दिए गए अलर्ट को गंभीरता से लेतीं और समय रहते कार्रवाई करतीं, तो एयर इंडिया फ्लाइट 182 का दर्दनाक हादसा टाला जा सकता था। भारतीय खुफिया एजेंसियों और सरकार ने कनाडा को पहले ही सतर्क किया था कि ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के लिए सिख उग्रवादी एयर इंडिया की फ्लाइट को निशाना बना सकते हैं।

पीटीआई की एक पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 में इस हादसे की जांच करने वाले कनाडा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस जॉन मेजर ने कहा था कि कनाडा सरकार को इस घटना की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने इस त्रासदी के लिए कनाडा सरकार, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) और कनाडियन सिक्युरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया।

भारत की ओर से मिले स्पष्ट अलर्ट के बावजूद, टोरंटो और मॉन्ट्रियल जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर सुरक्षा उपाय नाकाफी साबित हुए। हालांकि, वहां पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। लेकिन आतंकियों को रोकने में ये कदम नाकाम रहे। जांच में पाया गया कि सुरक्षा व्यवस्था में खामियों का फायदा उठाकर आतंकवादी प्लेन में बम रखने में सफल हुए।


जस्टिस जॉन मेजर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह हादसा कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों की विफलताओं का नतीजा था। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होती और इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स पर सही कार्रवाई होती, तो यह त्रासदी टल सकती थी।

इस हमले ने हजारों परिवारों को प्रभावित किया। पीड़ितों के परिवारों ने लंबे समय तक न्याय की मांग की। कनाडा सरकार ने 2005 में फ्लाइट 182 के हमले में हुई विफलताओं के लिए औपचारिक रूप से माफी मांगी।

फ्लाइट 182 के पीड़ितों को याद करने के लिए मॉन्ट्रियल और आयरलैंड में स्मारक बनाए गए हैं। यह त्रासदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।

एयर इंडिया फ्लाइट 182 का बम धमाका इतिहास के सबसे भयानक आतंकी हमलों में से एक है। यह घटना न केवल निर्दोष लोगों की जान लेने वाली त्रासदी थी, बल्कि न्याय और सुरक्षा प्रणालियों में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। 

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