लेह में गूंजा भारत माता की जय: शहीद की अंतिम विदाई, चीन के खिलाफ आक्रोश
भारत-चीन की सीमा लद्दाख में एलएसी चल रहा तनाव ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों देशों के बीच तनातनी की स्थिति बरकरार है। इस तनाव के बीच बीते दिन सोमवार को लेह में भारत माता की जय के नारे सुनाई दिए।
नई दिल्ली: भारत-चीन की सीमा लद्दाख में एलएसी चल रहा तनाव ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों देशों के बीच तनातनी की स्थिति बरकरार है। इस तनाव के बीच बीते दिन सोमवार को लेह में भारत माता की जय के नारे सुनाई दिए। दरअसल, एलएसी पर शहीद हुए तिब्बती जवान नाइमा तेंजिन को जोरदार नारों के साथ अंतिम विदाई दी गई। शहीद के लगाए गए इन नारों की गूंज एलएसी पर चीन के सैनिकों तक भी पहुंची। शहीद के अंतिम संस्कार के दौरान तिब्बत और भारत के झंडे भी दिखाई दिए।
शहीद तेंजिन भारत की सुपर सीक्रेट विकास रेजीमेंट के कमांडो थे
बता दें कि स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) के तिब्बती जवान नाइमा तेंजिन बारूदी सुरंग विस्फोट में शहीद हो गए थे। उनको सोमवार को पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके पार्थिव शरीर पर भारत और स्वतंत्र तिब्बत का ध्वज लपेटा गया था। इस दौरान विकास रेजीमेंट की जय, एसएफएफ जिंदाबाद, सैल्यूट इंडियन आर्मी के नारे लगे।
बैनर व पोस्टर पर "चाइना ली, पीपुल डाई" लिखा हुआ था
शहीद तेनजीन की अन्तिम विदाई में शामिल हुए लोगों के हाथों में बैनर व पोस्टर भी थे जिस पर चाइना ली, पीपुल डाई लिखा हुआ था। तेंजिन भारत की सुपर सीक्रेट विकास रेजीमेंट के कमांडो थे जो स्पेशल फ्रं टियर फोर्स का हिस्सा है। 29-30 अगस्त की रात को लद्दाख के पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सेना की घुसपैठ को नाकाम करने के दौरान तेंजिन बारूदी सुरंग की चपेट में आ गए थे।
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स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के सैनिक ऊंचे पर्वतों पर युद्ध के विशेषज्ञ
स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के सैनिक दलाई लामा, तिब्बत और भारत के ध्वज के प्रति अपनी निष्ठा रखते हैं। ये ऊंचे पर्वतों पर युद्ध के विशेषज्ञ माने जाते हैं। इसमें अधिकतर तिब्बती रिफ्यूजियों को भर्ती किया जाता है। 1959 के विद्रोह के दौरान दलाई लामा के साथ भागकर आए हजारों लोगों ने भारत को ही अपना घर बना लिया है। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद इस फोर्स का गठन किया गया था जिसमें साढ़े तीन हजार जवान हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी पहुंचे, शहीद कोण दी श्रधांजलि
शहीद तेंजिन की अंतिम विदाई में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी पहुंचे। माना जा रहा है कि भाजपा नेता का अंतिम विदाई में पहुंचना चीन के लिए कड़ा संदेश है। यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि भारत को तिब्बती कमांडो की शहादत पर गर्व है। भाजपा नेता ने अंतिम विदाई की तस्वीरें अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट भी की थी, जिसे बाद में हटा दिया गया।
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