जानिए कौन हैं मौलाना वहीदुद्दीन खान, जिन्हें मोदी सरकार ने दिया पद्म विभूषण
आधुनिक सोच रखने वाले मौलाना वहीदुद्दीन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के साथ साथ RSS के नेताओं के करीबी माने जाते हैं। वो ऐसे पहले शख्स रहे, जिन्होंने यह कहा था कि मुस्लिम समाज को बाबरी मस्जिद से अपना दावा छोड़ देना चाहिए।
नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से पद्म अवार्ड का एलान कर दिया गया है। केंद्र द्वारा जो लिस्ट जारी की गई है, उसमें तीन मुस्लिम चेहरों को भी शामिल किया गया है। इनमें सबसे बड़ा नाम है मौलाना वहीदुद्दीन खान का। मौलाना वहीदुद्दीन को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। वो इस्लामिक विद्वान और शांति कार्यकर्ता के तौर पर जाने जाते हैं।
कौन हैं मौलाना वहीदुद्दीन खान?
मौलाना वहीदुद्दीन खान की पहचान शांति के लिए काम करने वाली बड़ी हस्तियों में भी की जाती है। मौलाना एक ऐसी शख्सियत हैं, जो अपने गांधीवादी विचारों के साथ हिंदू और मुस्लिम दोनों समाजों में अहमियत रखते हैं। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में जन्मे मौलाना को मुसलमानों में बहुत मकबूलियत हासिल है। इन्होंने कुरान को आसान अंग्रेजी में अनुवाद किया और कुरान पर एक टिप्पणी भी लिखी है। आपको बता दें कि मौलाना शुरू से ही तीन तलाक के खिलाफ थे।
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RSS नेताओं के करीबी
आधुनिक सोच रखने वाले मौलाना वहीदुद्दीन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के साथ साथ RSS के नेताओं के करीबी माने जाते हैं। साल 2004 के चुनाव में वाजपेयी हिमायत कमेटी के गठन में मौलाना ने अहम भूमिका निभाई थी। इन्होंने लोकसभा चुनाव में वाजपेयी के लिए समर्थन जुटाने का काम बखूबी किया। इस्लामिक स्कॉलर के तौर पर देश ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
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बाबरी मस्जिद पर दिए गए बयान पर हुई थी आलोचना
वहीदुद्दीन एक मुस्लिम समाज ऐसे पहले शख्स रहे, जिन्होंने यह कहा था कि मुस्लिम समाज को बाबरी मस्जिद से अपना दावा छोड़ देना चाहिए। इस बयान के लिए मुस्लिम समुदाय में उनकी काफी आलोचना भी हुई थी। उन्हें दुनिया के 500 सबसे ज्यादा प्रभावी मुस्लिमों की सूची में भी शामिल किया जा चुका है।
इन पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
मौलाना वहीदुद्दीन साल 2000 में पद्म भूषण से भी नवाजे जा चुके हैं। इसके अलावा पूर्व सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा डेमिर्गुस पीस इंटरनेशनल अवॉर्ड, मदर टेरेसा, 2009 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार,अबूजहबी में सैयदियाना इमाम अल हसन इब्न अली शांति अवार्ड (2015) से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। अब मोदी सरकार में उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया जा रहा है।
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