मीट कंपनियों को लगा बड़ा झटका, देना होगा इतनी बिलियन डालर का टैक्स
जलवायु में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए तरह तरह के उपाए किए जा रहे हैं। अब मीट यानी मांस कंपनियों पर भी कार्बन उत्सर्जन के लिए टैक्स लगाने की वकालत की जा रही है।
नई दिल्ली: जलवायु में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए तरह तरह के उपाए किए जा रहे हैं। अब मीट यानी मांस कंपनियों पर भी कार्बन उत्सर्जन के लिए टैक्स लगाने की वकालत की जा रही है। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर मांस कंपनियों के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए नीति निर्माता इस सेक्टर पर टैक्स लगाना चाहते हैं।
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निवेशकों के ग्लोबल नेटवर्क ‘फेयर इनिशिएटिव’ के एक नए रिसर्च से ये बात निकाल कर आई है। ‘फेयर इनिशिएटिव’ 20 ट्रिलियन डॉलर से अधिक संपत्ति का प्रबंधन करता है। मीट उद्योग की कंपनियों के मूल्यांकन में कृषि उत्सर्जन पर कार्बन टैक्सों की कितनी लागत आती है इसका निर्धारण करने के लिए फेयर इनिशिएटिव ने एक सिस्टम डेवलप किया है। इस टूल की गणना के अनुसार 40 अग्रणी मीट कंपनियों के एक सेट का कार्बन टैक्सों में खर्च 2050 तक 11.6 बिलियन डॉलर तक हो सकता है। यानी प्रत्येक कंपनी के राजस्व के 5% के औसत प्रभाव के बराबर।
'द लाइवस्टॉक लेवी: अपडेट रिपोर्ट’ शीर्षक रिपोर्ट इस मुद्दे पर एक 2017 के व्हाइट पेपर पर आधारित है।
खास बातें
- कोविड-19 महामारी के मद्देनजर मीट से जुड़े मानव स्वास्थ्य के मुद्दे सुर्खियों में हैं। रिपोर्ट में पाया गया है कि बढ़ती स्वास्थ्य चिंताओं के अलावा मीट के पर्यावरणीय प्रभाव नीति निर्माताओं के लिए विशेष दबाव का मुद्दा बन गया है। इसके अलावा निवेशकों के लिए अब ज्यादा जोखिम पैदा होने की संभावना है।
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- मीट पर टैक्सों से आने वाले राजस्व को विशिष्ट सामाजिक लाभ जैसे फल और सब्जियों की कम कीमतों या किसानों को अधिक जलवायु के अनुकूल उत्पादन में संक्रमण में मदद करने के लिए खर्च किए जाने की संभावना है।
- अगर ग्रीनहाउस गैस टैक्सों को पशु कृषि पर भी लागू किया जाए तो ये 20 ट्रिलियन डालर के नेटवर्क में निवेश के जोखिम को बढ़ाएगा।
- लंदन क्लाइमेट एक्शन वीक में रिलीज़ हुई नई रिपोर्ट में “मोमेंटम इन पालिसी सर्कल्स” पर प्रकाश डाला गया है ताकि पशु कृषि उत्सर्जन पर कार्बन टैक्स लागू किया जाए।
- न्यूजीलैंड अपनी उत्सर्जन व्यापार योजना में पशुधन को शामिल करने वाला पहला देश बनने के लिए तैयार है।
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