मेघालय विधानसभा चुनाव से पहले हिंसा का साया, NCP कैंडिडेट समेत 3 की मौत
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रत्याशी जॉनाथॉन एन संगमा सहित 3 प्रत्याशियों की मौत से जीएनएलएफ उग्रवादियों के प्रभाव वाले मेघालय विधानसभा चुनाव में हिंसा की आशंका बढ़ा गई है। गौरतलब है कि विलियम नगर ने संगमा को वोट ने देने की चेतावनी वाले पोस्टर लगे हुए हैं। पुलिस का भी कहना है कि विलियमनगर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे। एनसीपी प्रत्याशी जोनाथोन संगमा और अन्य की मौत में राजनीतिक रंजिश या उग्रवादियों की भूमिका हो सकती है।
शिलांग: नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रत्याशी जॉनाथॉन एन संगमा सहित 3 प्रत्याशियों की मौत से जीएनएलएफ उग्रवादियों के प्रभाव वाले मेघालय विधानसभा चुनाव में हिंसा की आशंका बढ़ा गई है।
गौरतलब है कि विलियम नगर ने संगमा को वोट ने देने की चेतावनी वाले पोस्टर लगे हुए हैं। पुलिस का भी कहना है कि विलियमनगर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे। एनसीपी प्रत्याशी जोनाथोन संगमा और अन्य की मौत में राजनीतिक रंजिश या उग्रवादियों की भूमिका हो सकती है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि ताजा हिंसा के लिए पुलिस को जीएनएलएफ उग्रवादियों और राजनीतिक रंजिश की भूमिका प्रतीत हो रही है। ऐसा नहीं है कि जोनाथोन पर पहली बार उग्रवादी हमला हुआ हो। पुलिस सूत्रों के अनुसार, 2013 में भी उन्हें जीएनएलएफ उग्रवादियों की धमकी मिली थी और कथित रूप से मतदाताओं से कहा गया था कि यदि उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी जोनाथोन को वोट दिया तो उन्हें गोली का सामना करना पड़ेगा।
साल 2013 में जोनाथोन के खिलाफ देबोराह मराक प्रत्याशी थीं और धमकी के बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। बाद में नवंबर 2014 में पुलिस ने देबोराह के खिलाफ चुनाव में जीएनएलएफ के प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उस समय मुख्यमंत्री ने पुलिस के कदम का समर्थन करते हुए कहा था कि उनकी सरकार का लक्ष्य अपराधी राजनीतिक गठजोड़ को खत्म करना है। 2013 में जोनाथोन ने देबोराह पर आरोप लगाया था कि वह चुनाव में जीएनएलएफ के प्रभाव का इस्तेमाल चुनाव जीतने के लिए कर रही हैं।
पुलिस ने दावा किया था कि इस बात के सबूत हैं कि देबोराह ने चुनाव जीतने के लिए जीएनएलएफ की गारोलैंड की मांग का समर्थन करने का वादा किया था। देबोराह ने उस समय सारे आरोपों का यह कहते हुए खंडन किया था कि उन्होंने चुनाव में जीत के लिए जीएनएलएफ उग्रवादियों का इस्तेमाल करेंगे। देबोराह ने कहा था कि लोगों ने उन्हें अपनी मरजी से वोट दिया है और उग्रवादियों की मदद लेने का कोई सवाल ही नहीं उठता। शिलांग कोर्ट में यह मामला अब भी विचाराधीन है।