पूरा हुआ मोदी सरकार का ये लक्ष्य, गरीबों की जिंदगी मेें आया है बड़ा बदलाव

मोदी सरकार ने 'प्रधानमंत्री उज्जवला योजना' के तहत कुछ लक्ष्य रखे थे, जिस लक्ष्य को सरकार ने पहले ही हासिल कर लिया है।

Update:2023-08-28 19:49 IST

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने 'प्रधानमंत्री उज्जवला योजना' के तहत कुछ लक्ष्य रखे थे, जिस लक्ष्य को सरकार ने पहले ही हासिल कर लिया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत मार्च 2020 तक 8 करोड़ गैस सिलेंडर देने का लक्ष्य रखा था। लेकिन उसको बीते महीने ही प्राप्त कर लिया गया है। इस योजना के साथ ही सरकार ने हर गांव तक बिजली पहुंचाने और हर घर को सुलभ शौचालय प्रदान करने में भी कामयाब रही है।

अक्सर देखा जाता है कि चुनाव बीतने के बाद से योजनाओं की रफ्तार में सुस्ती आ जाती है लेकिन मोदी सरकार की इन योजनाओं की रफ्तार में कोई ढील नहीं हुई और समय से पहले इसके लक्ष्य को पूरा कर लिया गया। मोदी सरकार ने समाज के वंचित तबकों हर तरह से सशक्त बनाने का काम किया है।

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महिलाओं को हुआ फायदा-

मोदी सरकार के प्रधानमंत्री योजना से न केवल करोड़ों महिलाओं को चूल्हे के धुएं से आजादी मिली बल्कि उनके समय की बचत की भी बचत हुई। महिलाओं को चूल्हे पर भोजन पकाने में काफी ज्यादा वक्त लगा जाता था और साथ ही चूल्हे से निकलने वाला धुंआ उनकी सेहत पर बहुत बुरा असर डालता था। अब कहीं न कहीं उनके समय की बचत हुई है और वो इस वक्त का इस्तेमाल ऐसे कामों में कर रही हैं, जिनसे उनका जीवन सुधरे।

हर साल चूल्हे के धूएं से होती है 5 लाख मौतें-

बता दें कि देश में चूल्हों के धुएं से होने वाले प्रदूषण से हर साल 5 लाख महिलाओं की मौत हो जाती थी। जानकारों के मुताबिक, अगर आप रसोई में खुली आग के धुएं में एक घंटा बैठते हैं तो ये उतना ही खतरनाक होता है जितना की सौ सिगरेट के धूएं को सूंघना होता है। 2014 में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि दुनिया में जैव ईंधन पर निर्भर आबादी सबसे ज्यादा एशिया में है। अकेले भारत में 70 करोड़ की आबाद परंपरागत ईंधन (लकड़ी, गोबर आदि) से खाना बनाते हैं।

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2016 में शुरु की गई थी योजना-

केंद्र सरकार की ओर से साल 2016 में ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ की शुरुआत की गई थी। इस योजना की शुरुआत गरीबों को चूल्हे के धुएं और बीमारियों से मुक्ति दिलाने के लिए की गई थी। इसके तहत 5 करोड़ परिवारों को मार्च 2019 तक एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया था। बाद में लक्ष्य को बढ़ाते हुए 2020 तक 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन कर दिया।

वक्त से पूरा किया लक्ष्य-

योजना के तहत मार्च 2020 तक 8 करोड़ गैस सिलेंडर वितरण का लक्ष्य रखा गया था, जिसे सरकार ने सात महीने पहले ही प्राप्त कर लिया है। योजना की शुरुआत में इसका लाभ केवल उन्हीं परिवारों को मिल रहा था जो 2011 की गणना के अनुसार गरीबी की रेखा के नीचे थे। बाद में इसका दायरा बढ़ाते हुए सभी अनुसूचित जाति-जनजाति परिवार, वनवासी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, द्वीपों, चाय बागानों में रहने वालों तथा प्रधानमंत्री आवास योजना एवं अंत्योदय योजना के लाभार्थियों को भी शामिल किया गया।

95 प्रतिशत आबादी तक पहुंचा कनेक्शन-

उज्ज्वला योजना के लक्ष्य को वक्त से पहले ही हासिल कर लिया गया है। बल्कि यदि कुल गैस कनेक्शनों को देखा जाए तो यह आंकड़ा 10 करोड़ की संख्या को भी पार कर चुका है। अब तक देश की 95 प्रतिशत आबादी तक रसोई गैस पहुंच चुकी है और हर रोज 69000 नए कनेक्शन दिए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा कनेक्शन पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पूर्वोत्तर जैसे पिछड़े राज्यों में दिए गए, जहां पर स्वच्छ ईंधन की पहुंच बहुत कम है। ये योजना कई करोड़ों गरीबों के लिए मददगार साबित हुई है।

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