लद्दाख में मोदी सरकार ने पहुंचाए ये ख़ास सामान, चीन के साथ लड़ाई में आयेगा काम
सीमा पर बढ़ते तनाव के बाद भारत ने चीन के साथ दो- दो हाथ करने का मन बना लिया है। इस बार भारत ने चीन को सबक सिखाने के लिए सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली है।
नई दिल्ली: सीमा पर बढ़ते तनाव के बाद भारत ने चीन के साथ दो- दो हाथ करने का मन बना लिया है। इस बार भारत ने चीन को सबक सिखाने के लिए सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली है। एलएसी पर अगर चीन ने किसी भी तरह की नापाक हरकत की तो उसका बचना मुमकिन नहीं होगा।
लद्दाख में पड़ने वाली कड़ाके की ठण्ड को देखते हुए भारतीय सेना ने यहां पर जरूरी सामानों को अभी से स्टोर करना शुरू कर दिया है। दवा से लेकर गर्म कपड़े और राशन की बड़ी खेप यहां पर पहुंचाई जा चुकी है।
अगर चीन ठण्ड में हमला करने की गुस्ताखी करता है और लद्दाख में भारी बर्फबारी के बाद सामानों की आपूर्ति का काम ठप हो जाता है तब भी हमारे सेना को किसी भी तरह की कोई कमी महसूस नहीं होगी।
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छोटी-छोटी जरूरतों का रखा जा रहा ध्यान
उनकी हर जरूरत का सामान अभी से यहां पर पहुंचाया दिया गया है। सेना ने अपने जवानों के लिए गर्म कपड़ों को तैयार कर लिया है, जिनसे -50 डिग्री के तापमान में भी यहां डटे रहा जा सकता है।
हर उस साजो-सामान का स्टॉक कर लिया है, जो सर्दियों के दौरान अपने जवानों को सुरक्षित और सतर्क रखने के लिए आवश्यक है।
लेफ्टिनेंट कर्नल मोनार्क साध ने कहा, यह लद्दाख का सबसे बड़ा डिपो है जहां हमारे पास विशेष तंबू, कपड़े, हीटिंग उपकरण आदि हैं, जो हम जवानों को प्रदान करते हैं। ऊंचाई के लिए छोटे और बड़े अलग-अलग तंबू हैं। ये हमारे सभी जवानों को प्रदान किए गए हैं।
बॉर्डर पर तनाव के बीच, भारतीय सेना ने सैनिकों को ईंधन की आपूर्ति करने और सर्दियों के मौसम में उन्हें ठंड से बचाने के लिए लद्दाख में तेल डिपो का स्टॉक किया है। भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता विफल रहने के बाद अब भारतीय पक्ष ने उच्च पर्वतीय क्षेत्र में दीर्घकालिक तैनाती के लिए खुद को तैयार किया है।
इन्डियन आर्मी के आफिसर्स ने बताया कि जो कपड़े सेना के जवानों को दिए जा रहे हैं उससे न केवल जवानों को मौसम से सुरक्षित रहने में मदद मिलेगी, बल्कि यह उन्हें दुश्मन से छिपने में भी मदद करेगा।
ये कई प्रकार के उपकरणों से भी लैश हैं, जिनकी जवानों को पहाड़ों पर चढ़ने या ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आराम से चलने के लिए आवश्यकता होती है।
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खास तरह के जैकेट से लैश होंगे सैनिक
आपको ये भी बता दें कि कपड़ों की पहली परत में आंतरिक पतलून और गहरे रंग की जैकेट है, जबकि दूसरी परत में हरे रंग की जैकेट और पतलून का एक और सेट उन्हें प्रदान किया जाता है। इसी तरह, तीसरी परत पर, जो बाहरी परत भी है। इसे एक जवान को विशेष रंगों के जूते के साथ एक सफेद रंग की जैकेट और पतलून के साथ पहनना पड़ता है।
लद्दाख में पड़ने वाली भीषण ठण्ड में एलएसी और उसके आस पास के इलाकों में आवास के लिए भारतीय सेना के पास बड़े से लेकर छोटे साइज तक के तंबू का पर्याप्त स्टॉक है। बड़े तंबू में लगभग एक दर्जन जवान ठहर सकते हैं, जबकि छोटा तंबू एक जवान के लिए होता है। इन तंबुओं में हीटर होते हैं और ये -50 डिग्री तापमान में भी जवानों को गर्म और सुरक्षित रख सकते हैं।
आपको बता दें कि ये तंबू कई परतों से बने होते हैं। तंबू की बाहरी परत वाटरप्रूफ है, जबकि अंदर की परत रजाई के कपड़े से बनी होती है जो तापमान को अधिक रखने में मदद करती है। साथ ही, ये तंबू सौर पैनलों से भी सुसज्जित हैं, जिसके माध्यम से जवानों की बिजली की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है।
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