कर्मचारियों के भविष्य पर मोदी सरकार का वार, होली से पहले दिया ये बड़ा झटका

मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए सरकारी व गौर-सरकारी कर्मचारियों को झटका दिया है। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने ईपीएफओ के ब्याज दरों में कटौती का...

Update: 2020-03-05 08:35 GMT

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए सरकारी व गौर-सरकारी कर्मचारियों को झटका दिया है। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने ईपीएफओ के ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है। इस साल यानी 2019-20 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर 8.50 फीसदी ब्याज मिलेगा। पिछले साल यानी वित्तीय वर्ष 2018-19 में ब्याज की दर 8.65 फीसदी थी।

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दरअसल, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की गुरुवार को बैठक हुई। इस बैठक में चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पीएफ पर ब्‍याज दर को लेकर फैसला किया गया। बता दें कि केंद्रीय न्यासी बोर्ड ही पीएफ पर ब्याज दर को लेकर फैसला लेता है और इस फैसले को वित्त मंत्रालय से सहमति की जरूरत होती है।

राजस्व और विनिवेश दोनों से होने वाली आय लक्ष्य से कम है

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा, 'ईपीएफओ ने वर्ष 2019-20 के लिए ईपीएफ जमा पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज देने का निर्णय लिया है। यह निर्णय आज होने वाली केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में किया गया।' गौरतलब है कि सरकार इस साल राजस्व की तंगी से जूझ रही है। कर राजस्व और विनिवेश दोनों से होने वाली आय लक्ष्य से कम है।

बीते मार्च, 2019 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए ईपीएफओ ने 8.65 फीसदी ब्याज दर का ऐलान किया था। वित्त वर्ष 2017-18 में ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को 8.55 फीसदी की दर से ब्याज दिया था। इस साल ईपीएफओ ने पांच साल में सबसे कम 8.55 फीसदी की दर से ब्याज उपलब्‍ध कराया था।

वहीं 2016-17 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.65 फीसदी पर था। जबकि 2015-16 में 8.80 फीसदी की दर से ब्‍याज मिलता था। इसी तरह, 2013-14 और 2014-15 में ईपीएफ पर 8.75 फीसदी का ब्याज दिया गया था। वहीं 2012-13 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.50 फीसदी रही थी।

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