केरल में महिला ने इमाम बन रचा इतिहास, उलेमा ने जताया विरोध
केरल की कुरान सुन्नत सोसायटी की महासचिव जमीता मर्दों को जुमा की नमाज अदा कराकर उलेमा के निशाने पर आ गई है। देश का यह पहला ऐसा मामला है जिसमें किसी महिला ने जुमा की नमाज अदा कराई हो। उलेमा का कहना है कि इस्लाम धर्म
लखनऊ: केरल की कुरान सुन्नत सोसायटी की महासचिव जमीता मर्दों को जुमा की नमाज अदा कराकर उलेमा के निशाने पर आ गई है। देश का यह पहला ऐसा मामला है जिसमें किसी महिला ने जुमा की नमाज अदा कराई हो। उलेमा का कहना है कि इस्लाम धर्म में औरत मर्दों की इमाम नहीं हो सकती है। इसलिए मर्दों का किसी औरत के पीछे नमाज पढ़ना जायज नहीं है।
ये है मामला:
- केरल के मलप्पुरम कुरान सुन्नत सोसाइटी की महासचिव जमीता ने जुमा की नमाज बतौर इमाम अदा कराई।
- सोसायटी कार्यालय पर अदा कराई गई इस नमाज में महिलाओं के अलावा करीब 8 पुरुषों ने भी जमीता को इमाम मानते हुए नमाज अदा की थी।
- महिला द्वारा जुमा की नमाज में इमामत किए जाने पर दारुल उलूम वक्फ के वरिष्ठ मौलाना मुफ्ती आरिफ कासमी ने इस मसले की जानकारी देते हुए बताया कि इस्लाम में औरत मर्द की इमाम नहीं बन सकती है। इसलिए किसी भी महिला के पीछे मर्दों का नमाज पढ़ना जायज नहीं है।
उन्होंने यह भी बताया कि जुमा की नमाज सिर्फ मुसलमान मर्दों का फर्ज है। जिन औरतों ने महिला इमाम के पीछे जुमा की नमाज पढ़ी, उनकी भी नमाज नहीं हुई, क्योंकि औरतों पर जुमा की नमाज नहीं बल्कि जौहर की नमाज फर्ज है।
वरिष्ठ मुफ्ती जाकिर कासमी ने कहा कि औरत के पीछे मर्द की नमाज हरगिज अदा नहीं हो सकती। क्योंकि औरत को इमामत करने का हक नहीं है। उन्होंने कहा कि जुमा की नमाज केवल मुस्लिम मर्दों पर ही फर्ज है। इसलिए जुमा ही नहीं बल्कि कोई भी नमाज औरत के पीछे मर्दों का पढ़ना जायज नहीं है।