नए साल में किसानों को तोहफा देगी मोदी सरकार, कर सकती है ये बड़े ऐलान
लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार नए साल के मौके पर किसानों को कई तोहफे देने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार समय पर कृषि कर्ज की किस्त चुकाने वाले किसानों को ब्याज अदायगी से छूट दे सकती है। किसानों को दी जाने वाली इस ब्याज छूट से सरकारी खजाने पर 15 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार नए साल के मौके पर किसानों को कई तोहफे देने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार समय पर कृषि कर्ज की किस्त चुकाने वाले किसानों को ब्याज अदायगी से छूट दे सकती है। किसानों को दी जाने वाली इस ब्याज छूट से सरकारी खजाने पर 15 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
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किसानों का कर्ज हो सकता है ब्याज मुक्त
एक प्रस्ताव के मुताबिक किसानों को तत्काल राहत देने के लिए सही समय पर कृषि ऋण की किस्त चुकाने वाले किसानों पर चार प्रतिशत ब्याज का भार पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए। अभी किसानों को तीन लाख रुपये तक का ऋण सात प्रतिशत की ब्याज दर से दिया जाता है। कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि समय पर ब्याज भरने वाले किसानों को सरकार की तरफ से पहले ही तीन प्रतिशत की अतिरिक्त छूट दी जा रही है। अब बाकी बची चार प्रतिशत ब्याज दर से भी उन्हें निजात दिलाने की तैयारी की जा रही है।
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किसानों को प्रीमियम भरने से भी मिल सकता है छुटकारा
रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा खाद्यान्न फसलों के लिए होने वाले बीमा के लिए किसानों को प्रीमियम भरने से भी छुटकारा मिल सकता है। बागवानी फसलों के बीमा प्रीमियम को भी कम किया जा सकता है। अभी किसानों को खरीफ फसलों पर दो प्रतिशत, रबी फसलों पर डेढ़ प्रतिशत और बागवानी एवं व्यावसायिक फसलों पर पांच प्रतिशत प्रीमियम देना पड़ता है।
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शेष प्रीमियम का भुगतान केंद्र सरकार तथा संबंधित राज्य सरकारें आधा-आधा करती हैं। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि किसान अभी खरीफ तथा रबी फसलों पर करीब पांच हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम भर रहे हैं। यदि प्रीमियम में छूट दी गई तो किसानों का बोझ और कम हो जाएगा। फसल वर्ष 2017-18 के दौरान देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 4.79 करोड़ किसानों को लाभ मिला।
सरकार ने कई योजनाओं पर की है चर्चा
पिछले कुछ दिनों के भीतर इस बारे में उच्चस्तरीय बैठकों के कई दौर चले हैं। इन बैठकों में बंपर फसल उत्पादन के बाद किसानों को उचित कीमत नहीं मिल पाने की समस्या से पार पाने की योजना पर चर्चा की गई। विश्लेषकों का मानना है कि किसानों की बदहाली आसन्न लोकसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा रहने वाला है। इसके पीछे कांग्रेस की तीन प्रमुख हिंदी राज्यों में कृषि ऋण माफी की घोषणा को मुख्य बजह माना जा रहा है।
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रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध है। आने वाले समय में जो भी निर्णय लिया जाएगा उसकी घोषणा की जाएगी।