स्‍पेस के क्षेत्र में भारत का बड़ा कदम, रचने जा रहा अंतरिक्ष में नया इतिहास

हैदराबाद स्थित स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने ऊपरी चरण के रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण किया है। इस रॉकेट इंजन का नाम 'रमण' रखा गया है।

Update:2020-08-16 12:03 IST
स्‍पेस के क्षेत्र में भारत का बड़ा कदम, रचने जा रहा अंतरिक्ष में नया इतिहास

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के 'मेक इन इंडिया' और 'मेक फॉर वर्ल्ड' के मंत्र के बीच भारतीय कंपनी स्पेस सेक्टर में नया कदम रखने जा रही है। दरअसल हैदराबाद स्थित स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने ऊपरी चरण के रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण किया है। इस रॉकेट इंजन का नाम 'रमण' रखा गया है।

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भारत की एयरोस्पेस कंपनी स्काईरूट इसरो की मदद से दिसंबर 2021 तक अंतरिक्ष में इस रॉकेट को लॉन्च कर देगी। जानकारी के लिए बता दें कि यह इंजन कई उपग्रहों को एक ही बार में अलग-अलग कक्ष में स्थापित कर सकता है। इसके बारे में स्काईरूट के सह-संस्थापक पवन कुमार चंदाना ने बताया क‍ि उनकी टीम ने भारत के पहले सौ फीसद थ्री डी-प्रिंटेड बाय-प्रोपेलेंट तरल रॉकेट इंजन इंजेक्टर का परीक्षण किया।

वहीं भारत में इसे रॉकेट इंजन के क्षेत्र में अगला और खास कदम माना जा रहा है। बता दें कि कंपनी, रॉकेट की अपर स्टेज इंजन का परीक्षण कर चुकी है। साथ ही इसका शुरुआती निर्माण कार्य भी पूरा हो चुका है। Skyroot की टीम के मुताबिक, सब कुछ सही रहा तो दिसंबर 2021 तक वो इसरो के मार्गदर्शन में रॉकेट का मेडन लॉन्च पूरा कर दिया जायेगा। Skyroot की टीम ने कहा कि भारत में पहली बार निजी क्षेत्र के तौर पर हमने उपग्रहों की लॉन्चिंग के लिए लिक्विड इंजन का सफल परीक्षण किया है। कंपनी के दो रॉकेट चरण छह महीने में परीक्षण के लिए तैयार हो रहे हैं।

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3 रॉकेट पर काम कर रही है कंपनी

अपने किये गए इंजन टेस्ट को लेकर कंपनी ने बताया कि वो 3 रॉकेट पर काम कर रही है। कंपनी ने कहा कि इसरो संस्थापक को याद करते हुए इनका नाम विक्रम I,II &III रखा गया है। कंपनी ने बताया कि विक्रम, चार चरण में काम करने वाला रॉकेट है जो अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है। परीक्षण के दौरान इंजन में तरल ईंधन का प्रयोग हुआ।

सीवी रमन को श्रद्धांजलि

दरअसल नोबल पुरस्कार विजेता सीवी रमन को श्रद्धांजलि देते हुए कंपनी ने इस इंजन का नाम रमन रखा है। रमन इंजन में UDMH और NTO तरल ईंधन का इस्तेमाल हुआ, 4 इंजन वाला ये क्लस्टर 3.4 kN थ्रस्ट (thrust) जनरेट करेगा। यह इंजन कई उपग्रहों को एक ही बार में अलग-अलग कक्ष में स्थापित कर सकता है।

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