कृषि बिलों के बाद अब श्रम विधेयकों पर हंगामे के आसार, विपक्ष ने कसी कमर

केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने शनिवार को लोकसभा में सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंधों और व्यवसायिक व स्वास्थ्य सुरक्षा पर तीन लेबर कोड पेश किए थे।

Update: 2020-09-22 04:52 GMT
कृषि सुधार बिलों पर संसद में हंगामे के बाद अब विपक्ष ने संसद में आने वाले श्रम सुधार से जुड़े तीन विधायकों का विरोध करने के लिए कमर कस ली है। कृषि विधेयकों की तरह श्रम सुधार कानूनों को लेकर भी संसद में जोरदार हंगामे की उम्मीद जताई जा रही है।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: कृषि सुधार बिलों पर संसद में हंगामे के बाद अब विपक्ष ने संसद में आने वाले श्रम सुधार से जुड़े तीन विधायकों का विरोध करने के लिए कमर कस ली है। कृषि विधेयकों की तरह श्रम सुधार कानूनों को लेकर भी संसद में जोरदार हंगामे की उम्मीद जताई जा रही है। इनमें से एक विधेयक 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को संबंधित राज्य सरकार की मंजूरी के बिना भी छंटनी करने की अनुमति देता है। मौजूदा कानून के तहत 100 कर्मचारियों वाली कंपनियों को ही यह सुविधा उपलब्ध है। जानकारों का कहना है कि इन विधेयकों को लेकर भी विपक्ष की ओर से हंगामे की उम्मीद है।

विधेयकों को लेकर सरकार का दावा

केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने शनिवार को लोकसभा में सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंधों और व्यवसायिक व स्वास्थ्य सुरक्षा पर तीन लेबर कोड पेश किए थे। जानकारों के मुताबिक लंबे समय से लंबित श्रम सुधार बिल पुराने कानूनों को कोड में बदल देगा। चौथा कोड मजदूरी से जुड़ा हुआ है जिसे पहले ही संसद की मंजूरी मिल चुकी है।

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केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार (फाइल फोटो)

सरकार की ओर से दावा किया गया है कि श्रम मंत्री की ओर से पेश किए गए तीनों कोड के लिए स्थायी समिति की 233 सिफारिशों में से 174 को शामिल किया गया है। दूसरी ओर विपक्षी की ओर से नया बिल लाने की बात कही गई थी। विपक्ष का यह भी कहना था कि यह मूल कानूनों की जगह ले और पैनल की ओर से उसकी समीक्षा भी की जानी चाहिए।

विपक्ष और सरकार में टकराव के आसार

विपक्ष करेगा श्रम विधेयकों का विरोध (फाइल फोटो)

जानकारों का कहना है कि तीनों औद्योगिक विधेयकों पर अगले कुछ दिनों में चर्चा होगी और इसे लेकर विपक्ष और सरकार के बीच नए सिरे से टकराव पैदा हो सकता है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और शशि थरूर के साथ ही वाम नेतृत्व ने पहले ही श्रम सुधारों के प्रति विरोध जताया है। उनका कहना है कि सरकार को श्रमिकों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।

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मनीष तिवारी का कहना है कि नए कोड एक महीने के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखे जाएं। दूसरी और कांग्रेस नेता शशि थरूर की मांग है कि सरकार को स्थायी समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि इसे अदालत में संवैधानिक चुनौती का सामना करना होगा। श्रम मंत्री ने विधेयक पेश करते हुए दावा किया कि सरकार ने लंबी चर्चा और विचार विमर्श के बाद ही इन विधेयकों को पेश किया है।

सांसदों के निलंबन का मामला गरमाया

निलंबित सांसदों का धरना (फाइल फोटो)

इस बीच कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान हंगामा और अमर्यादित आचरण करने वाले आठ विपक्षी सांसदों के निलंबन का मामला गरमा गया है। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू की ओर से निलंबन के बाद इन सांसदों ने संसद परिसर में ही गांधी प्रतिमा के नीचे धरना शुरू कर दिया है। निलंबित सांसदों का यह धरना पूरी रात चला और इन सांसदों ने एलान किया है कि निलंबन वापस न होने तक धरना जारी रहेगा।

राहुल ने अलोकतांत्रिक कार्रवाई बताया

राहुल गांधी (फाइल फोटो)

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सभापति के इस कदम को अलोकतांत्रिक कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा कि पहले चुप कराया और अब सांसदों के निलंबन की कार्रवाई की गई है। लेकिन सरकार ने काले कृषि कानून पर किसानों की चिंता दूर करने की जगह अपनी आंखें मूंद रखी हैं।

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दूसरी ओर राज्यसभा सभापति नायडू का कहना है कि हंगामा करने वाले सांसदों ने संसद की गरिमा खासकर उच्च सदन की छवि पूरी तरह धूमिल कर दी है। उन्होंने कहा कि निलंबित सांसदों का व्यवहार बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, शर्मनाक और निंदनीय था। उन्होंने कहा कि सदस्यों को आत्मावलोकन करना चाहिए। यदि समय पर मार्शल न बुलाए गए होते न जाने सांसद उपसभापति के साथ क्या कर डालते।

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