JEE-NEET के खिलाफ स्वीडन तक से उठी आवाज, विरोध में उतरे कई राज्य
देश के कई प्रमुख राजनीतिक दलों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से जेईई व नीट की परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग की है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: जेईई व नीट के खिलाफ विरोध का स्वर तेज होता जा रहा है। देश के कई प्रमुख राजनीतिक दलों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से जेईई व नीट की परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने इस बाबत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को पत्र भी लिखा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बाद अब ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी छात्र हितों को देखते हुए इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग की है। स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट और टाइम मैगजीन की पर्सन ऑफ द ईयर ग्रेटा थनबर्ग ने भी कहा है कि कोरोना व बाढ़ के संकट के बीच भारतीय छात्रों को नेशनल एग्जाम में बैठाना बहुत ही गलत है।
पटनायक ने किया एग्जाम का विरोध
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने घोषणा की है कि जेईई मेन एग्जाम 1 से 6 सितंबर तक होगा जबकि नीट का एग्जाम 13 सितंबर को होगा। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर जेईई मेन और मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट को स्थगित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के कारण छात्रों का परीक्षा केंद्र जाना काफी असुरक्षित होगा। पटनायक ने अपने पत्र में लिखा है कि उड़ीसा से जेईई मेन में 50 हजार और नीट में 40 हजार बच्चों को परीक्षा देनी है।
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नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से राज्य में सिर्फ 7 शहरों में सेंटर बनाए गए हैं। कोरोना संकट के कारण बच्चों का परीक्षा केंद्र आना काफी असुरक्षित होगा। पटनायक ने यह भी लिखा है कि कोरोना संकट के कारण कई जिलों में स्थानीय तौर पर लॉकडाउन चल रहा है। इस कारण परिवहन सेवाएं भी पूरी तरह बाधित हैं। ऐसे में बच्चों को आवागमन में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। उड़ीसा का काफी बड़ा आदिवासी इलाका शहरी क्षेत्रों से दूर होने के कारण स्टूडेंट्स को काफी लंबी यात्रा करनी पड़ेगी। ऐसे में परीक्षाओं को स्थगित कर देना ही उचित होगा।
कई दलों व राज्यों ने किया विरोध
पटनायक से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे समेत कई नेताओं ने जेईई और नीट परीक्षाओं को टालने की मांग की है। डीएमके के अध्यक्ष एस के स्टालिन ने भी छात्र हितों को देखते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री से नीट और जेईई की परीक्षाओं को स्थगित करने का अनुरोध किया है।
स्वीडन की ग्रेटा ने भी उठाई आवाज
जेईई व नीट के खिलाफ देश में ही नहीं बल्कि विदेश से भी आवाज उठी है। स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भी कोरोना व बाढ़ संकट के बीच परीक्षा कराने को गलत बताया है। 17 साल की ग्रेटा ने ट्वीट करते हुए कहा कि बिहार, गुजरात और असम में लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। ऐसे में जेईई मेन और नीट एग्जाम को टाल दिया जाना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि मैं भारतीय छात्रों की परीक्षा टालने की मांग का समर्थन करती हूं। ग्रेटा पिछले साल सितंबर में उस समय चर्चा में आई थीं जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में दुनिया के ताकतवर नेताओं पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से निपटने में नाकाम रहने का आरोप लगाया था। टाइम मैगजीन ने ग्रेटा को पर्सन ऑफ द ईयर चुना था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
उधर विरोध की परवाह न करते हुए एनटीए ने सभी राज्यों से परीक्षा आयोजित करवाने में सहयोग की अपील की है। एनटीए की ओर से राज्यों के मुख्य सचिवों और डीजीपी को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि परीक्षाओं की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और राज्य सरकारों और पुलिस को परीक्षा के आयोजन में पूरी मदद करनी चाहिए।
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इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिए और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि वह अगले वर्ष से मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए हर वर्ष होने वाली नीट परीक्षा को ऑनलाइन कराने पर विचार करें। शीर्ष अदालत ने कहा कि जेईई की तर्ज पर नीट की भी ऑनलाइन परीक्षा कराने पर गंभीरता से विचार करें। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें विदेशी छात्रों की सुविधाओं के लिए मिडिल ईस्ट व खाड़ी देशों में नीट का परीक्षा केंद्र बनाने की मांग की गई थी।