Jamtara Cyber Fraud: भारत के नए जामताड़ा पर पहली कार्रवाई, जानते है क्या है जामताड़ा का पूरा किस्सा
Jamtara Cyber Fraud: देश में साइबर धोखाधड़ी के केंद्रों में से एक नया जामताड़ा के रूप में कुख्यात एक क्षेत्र को इस सप्ताह अपना पहला बड़ा झटका मिला,जिसमें हरियाणा पुलिस ने 125 संदिग्धों को हिरासत में लिया है।
Jamtara Cyber Fraud: देश में साइबर धोखाधड़ी के केंद्रों में से एक 'नया जामताड़ा' के रूप में कुख्यात एक क्षेत्र को इस सप्ताह अपना पहला बड़ा झटका मिला है। हरियाणा पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में 125 संदिग्धों को हिरासत में लिया है। यह कार्रवाई प्रदेश के नंहू के 14 गांव के 300 स्थानों पर छापा मारकर की गई है और यह इतनी बड़ी थी कि साइबर क्राइम टीम के 102 जवान और अन्य 5 हजार से अधिक पुलिस जवान शामिल थे। राजस्थान में भरतपुर और यूपी में मथुरा के साथ नूंह और उसके सीमावर्ती इलाकों में इस वक्त साइबर अपराध मुख्य धंधा बना हुआ है। खासकर इसमें तेजी उस समय आई, जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था। हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें शामिल लोगों की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच की है।
देश में हरियाणा का नूंह गांव भी एक नया जामताड़ा बनता जा रहा है। तो आईये जानते हैं देश के साइबर क्राइम का मुख्य अड्डा जामताड़ा और उसके साइबर फ़्रॉड के बारे में। झारखंड राज्य में जामताड़ा, डिजिटल धोखाधड़ी के सबसे कुख्यात हॉटस्पॉट में से एक, जिसको नेटफिल्क्स की एक वेब सिरीज़ को भी प्रेरित किया है। जामताड़ा झारखंड राज्य के दुमका जिले से अलग करके बनाया गया एक नया जिला है। यह उत्तर में देवघर जिले, पूर्व में दुमका और पश्चिम बंगाल, दक्षिण में धनबाद और पश्चिम बंगाल और पश्चिम में गिरिडीह से घिरा हुआ है।
जामताड़ा ज़िले का इतिहास
जामताड़ा जिले का इतिहास संथाल परगना के मूल जिले के इतिहास से अविभाज्य है। संथाल परगना को भागलपुर और बीरभूम जिलों के कुछ हिस्सों से स्थानांतरित करके वर्ष 1855 में एक अलग जिले के रूप में बनाया गया था। संथाल परगना, हजारीबाग, मुंगेर और भागलपुर के वर्तमान डिवीजनों के पूरे क्षेत्र को 1765 में दीवानी की धारणा पर अंग्रेजी द्वारा जंगलरी (जंगल तराई) कहा जाता था।
जामताड़ा में सालों से चलता साइबर क्राइम का कार्य
जामताड़ा में साइबर क्राइम की कई घटनाएं सालो से होती आ रही है, जिन्होंने इस जिले का एक खराब चरित्र बना दिया है। लगभग आबादी वाले इस अर्ध-शहरी परिवेश में आंख को पकड़ने वाली एकमात्र चीज सड़क के दोनों ओर खेतों में बने दर्जनों मोबाइल फोन हॉल हैं और इन ही हॉल में साइबर क्राइम का कार्य निरंतर होता है। झारखंड का जामताड़ा (साइबर जालसाजों का मक्का) कहा जाता है। यहाँ डिजिटल फ्रॉड (साइबर फ्रॉड) एक प्रारंभिक उपकरण हैं जो बदमाशों द्वारा उपयोग किया जाता है।
डिजिटल धोखाधड़ी की कम जांच के कारण
डिजिटल धोखाधड़ी एक अनिर्धारित शासन के भीतर हैं, इसलिए अन्य विभिन्न सार्वजनिक और साथ ही दूरसंचार कंपनियों के लिए साइबर फ़्रॉड के मामलों की जांच करना अधिक नाजुक हो जाता है। यह साइबर-संबंधित मामलों की जांच में देरी और साइबर-संबंधित मामलों में निश्चित रूप से कम सजा दर का मुख्य कारण है। झारखंड में साइबर क्राइम दिन पर दिन तेज़ी से बढ़ता नज़र आ रहा है। अदालतों में साइबर क्राइम के मामलों की सुनवाई की गति धीमी है।
जामताड़ा के गाँव से हुई साइबर क्राइम की शुरुआत
माना जाता है झारखंड में साइबर क्राइम की शुरुआत जामताड़ा क्वार्टर के करमाटांड़ गांव से हुई। साइबर क्राइम के मामले में जामताड़ा क्वार्टर पूरे देश में बदनाम है। साइबर क्राइम जामताड़ा से झारखंड के अन्य हिस्सों में भी तेज़ गति से फैल रहा है।
जामताड़ा में साइबर फ़्रॉड
भारत देश में हो रहे 50 प्रतिशत से अधिक साइबर फ़्रॉड का इतिहास जामताड़ा से ही जोड़ा जाता है। साइबर क्राइम में शामिल जामताड़ा के युवाओं के लिए स्मार्टफोन दुनिया को एक कम अस्थिर जगह बनाते हैं।