निर्भया कांड के दोषी अक्षय ने राष्ट्रपति के सामने दोबारा दायर की याचिका
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों में से एक अक्षय ने मंगलवार शाम दूसरी बार दया याचिका दाखिल की है। अक्षय ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित करते हुए जेल प्रशासन को अपनी दया याचिका सौंपी है। वहीं दूसरी तरफ अक्षय की पत्नी ने बिहार के औरंगाबाद की अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की है। पत्नी ने कहा नहीं रह सकती विधवा बन कर।
नई दिल्ली: देश के बहुचर्चित मामला निर्भया केस में अब एक नई बात सामने आ रही है। कि निर्भया केस के दोषी अक्षय ने राष्ट्रपति के पास दोबारा दया याचिका लगाई है। बता दें कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों में से एक अक्षय ने मंगलवार शाम दूसरी बार दया याचिका दाखिल की है। अक्षय ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित करते हुए जेल प्रशासन को अपनी दया याचिका सौंपी है। इस दया याचिका को दिल्ली सरकार के जरिये केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा। इनकी फांसी को पहले ही तीन बार टाला जा चुका है।
वहीं अक्षय की पत्नी ने बिहार के औरंगाबाद की अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की है। दायर अर्जी में अक्षय की पत्नी ने कहा कि वो विधवा बनकर नहीं जी सकती, इसलिए उसे तलाक दिया जाए।
औरंगाबाद के लहंग कर्मा गांव का रहने वाला अक्षय ठाकुर निर्भया कांड का दोषी है और 20 मार्च को उसके तीन साथियों के साथ उसे दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दी जाने वाली है। उससे पहले उसकी पत्नी ने औरंगाबाद कोर्ट में ये अर्जी दाखिल की है जिस पर सुनवाई 19 मार्च को होनी तय हुई है।
विधवा बन कर नहीं करना गुजर
अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता ने कोर्ट में दी अर्जी में कहा कि पति को निर्भया के दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराया गया है और कोर्ट से मिली सजा के तौर पर उसे फांसी दी जानी है। अक्षय की पत्नी ने अर्जी में लिखा है कि मेरे पति निर्दोष हैं, ऐसे में मैं उनकी विधवा बनकर नहीं रहना चाहती, इसलिए उसे अपने पति से तलाक चाहिए।
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पुनीता ने हिन्दू विवाह अधिनियम 13.2.2 के अंतर्गत तलाक मामला दायर किया है। पुनीता ने अदालत में दी गई अर्जी में लिखा है कि वैसे तो उसका पति निर्दोष है लेकिन न्यायालय के दृष्टिकोण से वो दोषी है। कानून के मुताबिक बलात्कारी की पत्नी तलाक ले सकती है क्योंकि वो विधवा के रूप में गुजर-बसर करने के लिए तैयार नहीं है।
कानून देता तलाक की इज़ाजत
अक्षय की पत्नी के वकील मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि महिला को विधिक अधिकार है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत बलात्कार या अन्य मामलों में तलाक ले सकती हैं।
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वकील का कहना है कि दुष्कर्म के मामले में अगर पति दोषी ठहरा दिया जाता है तो महिला को अधिकार है कि वो तलाक ले सकती हैं। औरंगाबाद परिवार न्यायालय इस पर 19 मार्च को सुनवाई करेगा। 20 मार्च को निर्भया के आरोपियों को फांसी का दिन मुकर्रर किया गया है।