नीतीश कटारा हत्याकांड: SC ने खारिज की विकास यादव की पैरोल, कहा- पूरी करो सजा

साल 2002 के बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल जेल की सज़ा काट रहे विकास यादव को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पैरोल देने से इंकार कर दिया है।

Update:2019-11-04 14:49 IST
नीतीश कटारा हत्याकांड: SC ने खारिज की विकास यादव की पैरोल, कहा- पूरी करो सजा

नई दिल्ली: साल 2002 के बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल जेल की सज़ा काट रहे विकास यादव को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पैरोल देने से इंकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि, दोषी को 25 साल कैद की सजा सुनाई गई थी और इसे बिना किसी राहत के पूरी की जानी है। सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव की चार हफ्ते का पैरोल मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही यादव से कहा कि, आपको 25 साल कैद की सजा सुनाई गई है, इसे पूरी करो।

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इस दौरान बेंच ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया है, जिसमें यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। इसमें कोर्ट ने उसे बिना किसी राहत के 25 साल कैद की सजा सुनाई थी।

2002 में हत्याकांड को दिया गया था अंजाम

बता दें कि कोर्ट ने विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव को नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या के मामले में सजा सुनाई थी। साल 2002 में 16 और 17 फरवरी के बीच पहले तो नीतीश कटारा का अपहरण किया गया और फिर उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई। नीतीश कटारा का विकास की बहन के साथ कथित प्रेम चल रहा था, जिस वजह से उसकी हत्या कर दी गई। दोनों अलग-अलग जाति से थे। इस मामले के तीसरे दोषी सुखदेव पहलवान को 20 साल के कैद की सजा सुनाई गई थी। विकास यादव ने जो पैरोल मांगा था, उसमें कहा गया था कि वो मामले में पहले ही 17 साल से ज्यादा समय जेल में बिता चुका है।

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चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है पूरा मामला-

  • 16 फरवरी 2002- गाजियाबाद में एक शादी समारोह से नीतीश कटारा का अपहरण किया गया और अपहरण के बाद विकास, विशाल यादव और सुखदेव पहलवान ने नीतीश की हत्या कर दी गई।
  • 20 फरवरी- बुलंदशहर के खुर्जा गांव में नीतीश की लाश जली हुई हालत में बरामद हुई। उस दिन नीतीश कटारा की दोस्त और आरोपी की बहन इंग्लैंड चली गई।
  • 11 मार्च 2002- करनाल से मामले में इस्तेमाल हुई गाड़ी बरामद हुई।
  • 31 मार्च 2002- यूपी पुलिस ने महज 4 पेज की चार्जशीट अदालत में पेश की थी।
  • 23 अप्रैल 2002- इस दिन पुलिस ने मध्यप्रदेश से विकास और विशाल यादव को गिरफ्तार किया।
  • 23 अप्रैल 2002- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गाजियाबाद से दिल्ली की अदालत में ट्रांसफर कर किया।
  • 23 नवंबर 2002- अदालत ने विकास और विशाल यादव के खिलाफ मामले में आरोप तय किए।
  • 7 अप्रैल 2003- इस दिन अदालत ने यादव की बहन को गवाही के लिए समन जारी किया था।
  • नवंबर 2005- पुलिस ने कटारा हत्याकांड के तीसरे आरोपी सुखदेव पहलवान को गिरफ्तार किया।
  • 25 नवंबर 2006- समन जारी करने के बाद भी यादव की बहन गवाही के लिए अदालत नहीं पहुंचीं। अदालत ने उसे भगोड़ा करार देने की चेतावनी दी। चेतावनी के बाद वो भारत वापस लौटी।
  • 2 अप्रैल 2008- अदालत ने मामले की सुनवाई रोजाना करना शुरू किया।
  • 30 मई 2008- दोनों आरोपियों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई।
  • 1 जुलाई 2008- नीतीश की मां ने हाई कोर्ट में फांसी की मांग को लेकर याचिका दायर की।
  • 5 सितंबर 2008- विकास और विशाल ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
  • 10 जुलाई 2011- निचली अदालत ने हत्याकांड के तीसरे आरोपी सुखदेव पहलवान को उम्रकैद की सजा सुनाई।
  • 16 अप्रैल 2013- हाई कोर्ट ने तीनों की याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
  • 2 अप्रैल 2014- हाई कोर्ट ने तीनों की याचिका खारिज कर निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
  • 03 अक्टूबर 2016- इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को संशोधित किया।

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