कोलकाता: चाय बागान के श्रमिकों का न्यूनतम वेतन बना लोकसभा का चुनावी मुद्दा

उत्तर बंगाल में चाय बगान वाले क्षेत्र दार्जिलिंग, तराई और दोआर्स हैं। यहां के करीब 300 बागानों में ऐसे तीन लाख श्रमिक काम करते हैं जो समय-समय पर बेरोजगार हो जाते हैं।

Update:2019-03-30 16:23 IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के चाय बागान वाले क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्य मुद्दा ‘चाय के बंद पड़े बगान’ और ‘श्रमिकों का न्यूनतम वेतन तय नहीं होना’ है।

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उत्तर बंगाल में चाय बगान वाले क्षेत्र दार्जिलिंग, तराई और दोआर्स हैं। यहां के करीब 300 बागानों में ऐसे तीन लाख श्रमिक काम करते हैं जो समय-समय पर बेरोजगार हो जाते हैं।

तराई और दोआर्स के क्षेत्र में पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दार्जिलिंग और कूचबिहार जिले और असम का कुछ हिस्सा शामिल है।

कूचबिहार और अलीपुरद्वार में 11 अप्रैल को मतदान होगा जबकि जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और राजगंज में 18 अप्रैल को चुनाव होंगे।

विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से जुड़ी ट्रेड यूनियनों का कहना है कि वे लोग चाय बागानों में न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग लंबे समय से करते आए हैं लेकिन यह मुद्दा सुलझा नहीं है।

चाय बागान के सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा गठित किए गए न्यूनतम वेतन परामर्श समिति में इस मुद्दे पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया है लेकिन अभी तक इस पर कुछ भी तय नहीं हुआ है।

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सूत्रों ने बताया कि परामर्श बोर्ड को चाय बगान के मालिकों और ट्रेड यूनियनों ने अपनी मांगों से जुड़े दस्तावेज सौंपे हैं और अब यह मामला सरकार के पास है।

सूत्रों ने बताया कि चाय के सबसे बड़े उत्पादक राज्य असम में न्यूनतम वेतन लागू करने से जुड़ा फैसला नहीं लिया गया है।

(भाषा)

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