नई दिल्ली : विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों ने लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के विचार का सोमवार को विरोध किया। कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक में कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए जा रहे इस विचार पर अपना विरोध जताया।
एक विश्वस्त सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक, विपक्षी सदस्यों ने कहा कि वर्तमान में ऐसा करना संभव नहीं है। विपक्ष के कई सदस्यों को लगता है कि एक साथ चुनाव कराना यथार्थवादी नहीं है और वर्तमान हालात में संभव भी नहीं है।
सूत्र ने कहा, "चुनाव सुधार से संबंधित बहुत सारे मुद्दों पर आम चर्चा की गई। किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा गया।"
अन्य मुद्दे जिनपर चर्चा हुई उनमें आनुपातिक प्रतिनिधित्व, चुनाव के लिए द्वारा धन देना और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन शामिल है।
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मोदी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि भारत में एक साथ चुनाव कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आना चाहिए क्योंकि निरंतर अंतराल पर चुनाव होने से वित्तीय और मानव संसाधन का बहुत प्रयोग होता है।
कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय पर स्थायी समिति ने दिसंबर 2015 में सदन में एक रिपोर्ट दाखिल की थी जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने से वर्तमान में अलग अलग चुनाव कराने की तुलना में बड़े पैमाने पर व्यय कम होने को दर्शाया गया था। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया था कि इसके जरिए चुनाव के समय के दौरान आचार संहिता लागू होने के परिणामस्वरूप नीतिगत ठहराव को कम किया जा सकता है।