रुलाएगा पेट्रोल-डीजल: अब मचेगा चारों तरफ हाहाकार, तेल के दाम और बढ़ेंगे
इराक के कहना है कि उसकी इकोनॉमी के लिए तेल के दाम 80 डॉलर होना फायदेमंद होगा। अगर ओपेक देश इसी राह पर चलते रहे तो पेट्रोल 120 से कहीं आगे पहुंच जाएगा। ओपेक देश आपसी समझौता करके प्रोडक्शन घटाते बढ़ाते रहते हैं।
नीलमणि लाल
लखनऊ। पेट्रोल डीजल के दामों को और आगे ले जाने की तैयारी है। इस काम में इराक और ओपेक के अन्य मेम्बर देश जुटे हुये हैं। ओपेक देशों ने साफ कर दिया है कि 4 मार्च की बैठक में तेल प्रोडक्शन बढ़ाने या कीमत में कटौती पर कोई चर्चा नहीं होगी। इराक ने तो और आगे जा कर कहा है कि वह चाहता है कि कच्चे तेल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएं। अभी ये दाम 60 डॉलर हैं। इराक के कहना है कि उसकी इकोनॉमी के लिए तेल के दाम 80 डॉलर होना फायदेमंद होगा। अगर ओपेक देश इसी राह पर चलते रहे तो पेट्रोल 120 से कहीं आगे पहुंच जाएगा। ओपेक देश आपसी समझौता करके प्रोडक्शन घटाते बढ़ाते रहते हैं।
भारत नई जगह से खरीद करेगा
मिडिल ईस्ट के कच्चे तेल उत्पादक देशों की मनमानी के कारण भारत अब अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका से खरीदारी करने की सोच रहा है। कोरोना के चलते भारत में बीते साल तेल की डिमांड काफी कम रही। वैसे तो तेल सप्लाई के लिए भारत के नियत सप्लायर सऊदी अरब और इराक जैसे देश हैं लेकिन जरूरत के अनुसार स्पॉट खरीदारी भी की जाती है। पिछले साल की तुलना में इस साल स्पॉट खरीदारी 10 से 15 फीसदी ज्यादा रहने का अनुमान है। मतलब ये कि भारत अन्य सोर्सेज से और ज्यादा तेल खरीदेगा।
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अमेरिका के शेल तेल मैदानों पेट्रोल और एलपीजी ज्यादा निकलता है
मिडिल ईस्ट के तेल से डीज़ल ज्यादा निकलता है जबकि उत्तरी सागर, वेस्ट अफ्रीका और अमेरिका के शेल तेल मैदानों के कच्चे तेल से पेट्रोल और एलपीजी ज्यादा निकलता है। चूंकि कोरोना के कारण लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बजाए अपने वाहनों को ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं इसलिये बहुत से देशों में पेट्रोल की डिमांड ज्यादा बढ़ी है। यही वजह है कि भारत का नाइजीरिया से आयात 68 फीसदी और अमेरिका से 77 फीसदी बढ़ा है।
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ओपेक देशों और रूस ने बीते साल अपने तेल प्रोडक्शन में 97 लाख बैरल प्रतिदिन की रिकार्ड कटौती की थी। सऊदी अरब तो दाम बढ़ाने के लिए अपना प्रोडक्शन और भी घटाने की योजना पर चल रहा है।
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