पाकिस्तानी संसद में 'हिंदू मैरिज बिल' हुआ पारित, कुछ इस तरह होंगे कानून

Update:2017-02-18 13:22 IST

इस्लामाबाद : लंबे समय से लंबित हिंदू मैरिज बिल को शनिवार (18 फरवरी) को पास कर दिया गया। पाकिस्तान की सीनेट ने पहली बार हिन्दु मैरिज बिल पास किया है। पाकिस्तान मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिल को निचले सदन से पहले ही मंज़ूरी दी जा चुकी है। हालांकि अभी इस बिल में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने बाकी है।

इसे नेशनल एसेंबली द्वारा 26 सिंतबर 2015 को पास किया जा चुका है। जिसके बाद अब अगले हफ्ते इसे राष्ट्रपति की सहमति मिलते ही कानून बना दिया जाएगा। इस बिल को सीनेट के सामने कानून मंत्री जाहिद हामिद ने पेश किया था।

उम्र सीमा के उल्लंघन पर होगी छह महीने की जेल

बिल के पास होने के बाद पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की शादियों को मान्यता मिल जाएगी। शादी के लिए लड़का और लड़की की आयु सीमा कम से कम 18 साल तय की गई है। न्यूनतम उम्र सीमा से संबद्ध कानून का उल्लंघन करने पर छह महीने की जेल और 5,000 रूपए का जुर्माना होगा। इसके साथ ही इस बिल की मदद से हिंदू महिलाओं के पास पहली बार शादी का कोई प्रूफ होगा।

पहला हिन्दु पर्सनल लॉ

पाकिस्तान में ये पहला हिंदू पर्सनल लॉ है। फिलहाल अभी यह पंजाब, बलोचिस्तान और खैबर पख्तुनवा इलाकों में लागू होगा। शादी के लिए यह कानून सिंध प्रांत में पहले से ही लागू है।

पाक मानवाधिकार आयोग की प्रमुख के मुताबिक

जोहरा युसूफ ने बताया कि विवाह का सबूत हिंदू महिलाओं को अधिक सुरक्षा मुहैया कराएगा। विवाह का पंजीकरण होने पर कम से कम उनके कुछ खास अधिकार सुनिश्चित होंगे।

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ये होंगे कानून

पाक में हिन्दू मैरिज एक्ट के लागू हो जाने के बाद कोई भी हिंदू परिवार अपनी शादी को पंजीकृत करा सकेगा।

शादी में अलगाव होने पर इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दायर कर पाएंगे।

वहीं अगर को इन कानून को तोड़ता हुआ पाया जाता है, तो उसे कोर्ट में सबूत के तौर पर शादीपत्र दिखाना होगा।

पाक में इस बिल के पास हो जाने पर अल्पसंख्यक हिंदूओं को पति या पत्नी की मौत होने पर 6 महीने के बाद अपनी मर्जी से पुनर्विवाह करने का अधिकार भी मिलेगा।

जो उन्हें बिल के क्लाउज 17 के तहत मिलेगा।

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