गया में नहीं होगा ऑनलाइन पिंडदान, पंडों के विरोध पर सभी बुकिंग रद्द

पितृ पक्ष पर भी कोरोना संकट का काला साया दिख रहा है। इस महामारी के चलते मोक्ष नगरी गया में पितृपक्ष का मेला इस बार नहीं होगा।

Update: 2020-09-02 07:07 GMT
महामारी की वजह से इस बार नहीं होगा पिंडदान (social media)

नई दिल्ली: पितृ पक्ष पर भी कोरोना संकट का काला साया दिख रहा है। इस महामारी के चलते मोक्ष नगरी गया में पितृपक्ष का मेला इस बार नहीं होगा। मेला स्थगित होने के बाद अब यहां ऑनलाइन पिंडदान भी नहीं किया जा सकेगा। गया के पंडों ने पिंडदान का कड़ा विरोध किया है और उनका कहना है कि अगर यह प्रथा शुरू हो गई तो लोगों का तीर्थस्थलों पर आना ही बंद हो जाएगा। इसलिए पितृपक्ष के दौरान ऑनलाइन पिंडदान नहीं हो सकेगा और वैसे ही पिंडदान किया जा सकेगा जैसा आम दिनों में होता रहा है।

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पिंडदान (सोशल मीडिया)

ऑनलाइन पिंडदान के नाम पर होगा धंधा

गया के पंडों ने ऑनलाइन पिंडदान की बुकिंग के खिलाफ विरोध का झंडा उठा लिया है। उनका कहना है कि यदि ऑनलाइन पिंडदान की शुरुआत हो गई तो प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा पूरी तरह खत्म हो जाएगी और पुरोहितों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। ऑनलाइन पिंडदान के नाम पर हर कोई धंधा करने लगेगा। इसीलिए गया के पंडों ने करीब 700 ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी है।

दक्षिण भारत के पुरोहितों ने भी इस फैसले का समर्थन किया है। इसके साथ ही गया इस्कान समेत 50 से अधिक संस्थाओं ने भी पिंडदान की सभी ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी है।

हाईकोर्ट में दायर होगी याचिका

बिहार पर्यटन विभाग की ओर से कोई ऑनलाइन बुकिंग नहीं की गई है। ‌अखिल भारतीय पुरोहित महासभा का भी कहना है कि ऑनलाइन पिंडदान को स्वीकार नहीं किया जा सकता। विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य महेश गुप्ता का कहना है कि ई पिंडदान को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।

कोरोना संकट के कारण इस साल फल्गु नदी के तट पर देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों की झलक नहीं दिखेगी। हर साल देशभर के लोगों के यहां आने के कारण फल्गु नदी के तट पर विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों की झलक दिखती थी।

इस्कॉन मंदिर ने भी किया इनकार

इस्कॉन मंदिर के प्रबंधक जगदीश श्यामदास महाराज का कहना है कि उनके यहां भी कई तीर्थयात्रियों ने ऑनलाइन पिंडदान करने के लिए संपर्क किया था, लेकिन पंडों के विरोध को देखते हुए हमने भी सभी बुकिंग को रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि यहां के पंडों ने ऑनलाइन पिंडदान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।

ऑनलाइन बुकिंग से खींचे हाथ

दक्षिण भारत के तीर्थ यात्रियों ने भी ऑनलाइन पिंडदान की इच्छा जताई थी और इसके लिए उन्होंने यहां की एक संस्था के जरिए बुकिंग कराई थी मगर पंडों के विरोध को देखते हुए इस संस्था ने भी हाथ पीछे खींच लिए हैं और ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी गई है।

ऑनलाइन पिंडदान का महत्व नहीं

ऑनलाइन पिंडदान के संबंध में गया के पुरोहितों का साफ तौर पर कहना है कि सनातन धर्म में ऑनलाइन पिंडदान का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे कतई शास्त्र सम्मत नहीं माना जा सकता। उनकी दलील है कि जब हाईकोर्ट ने ऑनलाइन दर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया तो ऑनलाइन पिंडदान कैसे स्वीकार किया जा सकता है।

पिंडदान (सोशल मीडिया)

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पितरों के मोक्ष के लिए आना ही होगा गया

इसके साथ ही इस परंपरा की शुरुआत होने पर गया के पुरोहितों की आजीविका पर भी बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। उनका कहना है कि सभी लोगों को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि पिंडदान करने के लिए उन्हें गया आना ही होगा और तभी उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

गया में अपने हाथों पिंडदान करने पर ही पितरों को मोक्ष हासिल होता है। उनका कहना है कि ऑनलाइन पिंडदान के नाम पर देश के लोगों को ठगा जा रहा है और उन्हें इस बाबत सचेत हो जाना चाहिए।

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