पित्र विसर्जन आज: विदा हुए पितर कुछ ऐसा रहा हरिद्वार का नजारा

मनोकामनाए पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगास्नान कर पितृ तृप्त होते हैं और बैकुंठ को रवाना हो जाते हैं। साथ ही भगवान शनि भी प्रसन्न होते है आज भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये हैं ।

Update:2023-06-17 13:05 IST

उत्तराखंड: आज पितृ विसर्जन अमावस्या का स्नान पर्व है। जिसके चलते हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट रही है। श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगा कर पुण्य और मोक्ष की कामना करने के साथ अपने पितरों को देवलोक भी विदा कर रहे हैं । आज लम्बे समय बाद शनि अमावश्य एक साथ है। जिसके चलते हरिद्वार में गंगास्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट रही है।

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शनि अमावस्य के स्नान पर विशेष महत्व

श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य और मोक्ष की कामना करने के साथ अपने पितरों को देवलोक भी विदा कर रहे हैं। शनि अमावस्य के स्नान पर विशेष महत्व माना जाता है। इसीलिए इस मौके पर गंगा स्नान करने के लिए यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। माना जाता है कि इस अवसर पर मां गंगा में स्नान करने से सभी कष्ट दूर होते है।

मनोकामनाए पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगास्नान कर पितृ तृप्त होते हैं और बैकुंठ को रवाना हो जाते हैं। साथ ही भगवान शनि भी प्रसन्न होते है आज भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये हैं ।

हरिद्वार में भी आज सुबह तङके से ही गंगा स्नान करने के लिए हर की पौङी पर श्रद्धालुओं की भीङ जुटनी शुरु हो गई थी ,सिद्ध पीठ नारायणी शिला पर पितरो को तर्पण देने के लिए भारी संख्या में पहुंचे, आज के दिन गंगा स्नान करने से परिवार में सुख सृमृद्धि तो आती ही है पितरों की आत्मा भी तृप्त होती हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है ।

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पितरों की आत्मा होती हैं तृप्त

वहीं महिलाओं ने अपने पति की लम्बी आयु के लिए भी कामना की ,पुरोहित मनोज त्रिपाठी ने बताया की 16 दिनों के बाद आज पितृ विदा हो गए है वहीं आज के दिन गंगा स्नान करने से परिवार में सुख-सृमृद्धि तो आती ही है पितरों की आत्मा भी तृप्त होती हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है ।

मनोज त्रिपाठी पुजारी नारायणी शिला हरिद्वार

पितृ विसर्जन अमावस्या के स्नान पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। इसीलिए इस मौके पर गंगा स्नान करने के लिए यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। माना जाता है कि इस अवसर पर माँ गंगा में स्नान करने से सभी कष्ट दूर होते है, मनोकामनाए पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा स्नान कर पितृ तृप्त होते हैं और बैकुंठ को रवाना हो जाते हैं। आज के दिन पितरो की पूजा कर पितृदोष से मुक्ति मिलती है ।

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जो हमारे अपने हम से दूर चले जाते है, कहते हैं कि मरने के बाद वो पितृ बन जाते है वहीं इन पितरो का ऋण चुकाने के ल‍िए साल भर में एक बार पितृ भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को धरती पर आते हैं और आश्विनी माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या आज के दिन धरती से वापस चले जाते हैं ऐसा माना जाता है कि पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह 16 दिन का समय सबसे अच्‍छा माना गया है।

 

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