मोदी का टाउनहॉल: पीएम ने किया जनता से सीधा संवाद, दिए इन सवालों के जवाब

Update:2016-08-06 17:22 IST

नई दिल्ली: पीएम मोदी इंदिरा गांधी स्टेडियम में पहली बार टाउनहॉल मीटिंग को संबोधित किया उन्होंने जनता के कई सवालों के जवाब दिए। सवाल पूछने वालों में कश्मीर से लेकर सिलिकॉन वैली (अमेरिका) तक के लोग शामिल थे। पीएम ने सभी सवालों का विस्तार से जवाब दिया।

मोदी ने कहा, ''मैं सबसे पहले माय गोव से जुड़ने के लिए सभी को धन्यवाद देता हूं। हमारे देश में लोकतंत्र का सबसे अच्छा अर्थ क्या है कि एक बार वोट दे तो और फिर पांच साल का ठेका दे दो कि सारी परेशानी दूर कर दो। और पांच साल में कोई कमी रही तो दूसरा ठेकेदार ठूंठ लेंगे। सिर्फ सरकार चुनकर यदि लोकतंत्र खत्म हो जाए तो कभी सही लोकतंत्र लागू नहीं हो सकता। जनभागीदारी वाले लोकतंत्र की आवश्यकता है। टेक्नोलॉजी की वजह से ये संभव हुआ है। स्वच्छ भारत मिशन इसका अच्छा उदाहरण है।''

सवाल: गुड गवर्नेंस से आपका क्या मतलब है?

हमारे देश की अर्थव्यवस्था सबसे तेज है। आपका सवाल था गुर्ड गर्वनेंस- हमारे देश में माना गया है कि गुड गवर्नेंस मतलब बैड पॉलीटिक्स। हमारे देश में चुनाव जीतने के बाद सरकारों का ध्यान इस बात पर रहता है कि अगला चुनाव कैसे जीतें। इसलिए उनकी योजनाएं इसी प्रकार की बनती है कि और अधिक वोट पाने का रास्ता कैसे खोजें। इसलिए जिस उद्देश्य से कारवां चलता है वो जल्द लुढ़क जाता है। हमारे देश में गुड गवर्नेंस के प्रति उदासीनता प्रवेश कर गई है। देश में बदलाव लाने के लिए जितना महत्व निर्णय का है उतना ही लास्ट माइल डिलेवरी का है।

आपने जो सोचा-धन लगाया वह यदि अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंचता है, कुछ दिनों तक तो वाहवाही हो जाती है, लेकिन यदि हम गुड गवर्नेंस पर ध्यान नहीं देंगे तो आम लोगों के जीवन में बदलाव नहीं आएगा। मान लीजिए सरकारी खजाने से एक अच्छा अस्पताल बन गया, सभी संसाधन लग गए, लेकिन जो मरीज आता है उसे इसका लाभ नहीं मिलता है, एक कमरे से दूसरे में भटकना पड़ता है तो इतना डेवलपमेंट होने के बाद भी सब बेकार जाता है। डेवलपमेंट और गुड गवर्नेंस का संतुलित संबंध रहना चाहिए।

गुड गवर्नेंस हमारे देश में एक दुर्भाग्य है कुछ ओपिनियन मेकर कुछ पंचायत में हो जाए तो भी पीएम से पूछेंगे, नगर पंचायत में हो जाए तो भी पीएम से पूछेंगे। नगर पालिका में हो गया तो भी पीएम जवाब दें, राज्य में हो गया तो भी पीएम जवाब दें। पॉलिटिकली तो ये ठीक है, टीआरपी के लिए भी ठीक है। पीएम को तकलीफ हो ये तो ठीक है, मेरे जैसे को तो और भी हो। लेकिन इसका दुरुपयोग होता है कि पंचायत, नगर पालिका और राज्यों को लगता है कि हमारी तो जिम्मेदारी ही नहीं। सीधा उससे जवाब मांगना चाहिए जिसकी जिम्मेदारी है। जिसकी जिम्मेवारी हो उसकी जवाबदेही हो।

गुड गवर्नेंस में मेरा मत है कि कभी कभी समस्याओं के जड़ में सरकार खुद होती है। सरकार जितनी निकल जाए उतना ही जनता सामर्थ्यवान बनेगी। लेकिन अंग्रेजों के समय से ये आदत बनी हुई है। सरकारों को अपने आप को बदलना होगा। जनता को रुकावटें डालें उसे बार-बार हमारे पास आना पड़े, इसकी क्या जरूरत है।

दूसरा सवाल- भारत विश्व में सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लोगों पर इसका असर कब दिखेगा?

हां ये सच है कि भारत सबसे तेज गति से विकास कर रहा है, वो भी तब जबकि दो साल लगातार अकाल रहा। दूसरा पूरे विश्व में मंदी का दौर चल रहा है। दुनिया की परचेजिंग कैपेसिटी गिर गई है। ऐसी विकट परिस्थिति में 7.5 फीसदी की ग्रोथ रेट बढ़ रही है। इसके लिए मैं देश की जनता को बधाई देता हूं। हम जानते हैं कि हमारे परिवार में आज एक व्यक्ति कमाता है और 20 हजार रुपए में परिवार कैसे चलाते हैं। क्या लाना है कितना लाना है। लेकिन परिवार के एक और व्यक्ति को नौकरी मिल जाए तो प्लानिंग बदल जाती है। देश के खजाने में ज्यादा पैसा है तो ज्यादा योजनाएं आती हैं। कुछ नियम कुछ व्यवस्थाओं पर बल देना होता है। प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल करेंगे उतनी हमारी इकोनॉमी बढ़ेगी। हम मानव संसाधन का भी सही इस्तेमाल कर सकेंगे।

भारत जैसा देश। हजारों साल पुरानी हमारी विरासत है। यदि हम पर्यटन को बढ़ावा दें तो हमारी विरासत इकोनॉमी में बदल जाएगी। ताजमहल में निवेश किसी ने किया होगा, उस समय कोई अखबार हो तो उसमें निकला होगा कि लोग भूखे मर रहे हैं और राजा ताजमहल बनवा रहा है। लेकिन आज वो हजारों लोगों के लिए कमाई का जरिया बन गया है। बस तीस साल यदि हम फोकस करके काम कर लें तो दुनिया की सारी अच्छी चीजें आपके पास होगी।

भारत में बनी मेट्रो ऑस्ट्रेलिया जाती है, जापानी कंपनी मारुति भारत में बनती है और फिर जापान जाती है। हम अरबों का तेल आयात करते हैं, हम यदि सोलर पावर का ज्यादा इस्तेमाल करें तो कितना पैसा बचेगा। यदि हम डिफेंस इक्वीपमेंट देश में ही बनाएं तो पैसा बचेगा।

लोगों के स्वास्थ्य में कैसे सुधार हो?

हेल्थ इज वेल्थ। हेल्थ का मामला ऐसा है कि हर आदमी दूसरे को सलाह देगा, खुद नहीं करेगा। क्या कारण है हमारे देश में एक जमाना था कि गांव में एक वैद्यराज रहता था और पूरा गांव स्वस्थ रहता था। आज कान, नाक आंख सबका डॉक्टर अलग है लेकिन बीमारी बढ़ रही है। इसका कारण यह है कि हम प्रिवेंटिव हेल्थ के लिए सजग नहीं हैं। यदि हम पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने में सफल होते हैं। हम जानते हैं कि काम कठिन है, लेकिन कहीं तो शुरुआत करनी होगी। यूएन का कहना है कि यदि परिवार स्वस्थ रहे तो हर साल औसतन सात हजार रुपए की बचत होती है। प्रिवेंटिव हेल्थ केयर पर ध्यान देना होगा।

दूसरा एफोरडेबल हेल्थ केयर। किडनी को लेकर संख्याएं इतनी तेजी से बढ़ रही है कि यदि हजारों डायलेसिस सेंटर भी खोलें तो भी पूरा होगा कि नहीं पता नहीं। टीकाकरण के लिए सरकार खर्चा करती है। कर्मचारी काम कर रहे हैं, जागरुकता लाई जा रही है, लेकिन इसके बावजूद लाखों लोगों ने टीकाकरण नहीं कराया। बहुत उच्च परिवारों के लोग शर्मिंदगी से नहीं जाते। अभी हमने इंद्रधनुष योजना शुरू की इसके तहत लाखों बच्चे ऐसे मिले जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था। हम हेल्थ इश्योंरेंस की योजना लेकर आए हैं।

दो साल गंभीर सूखा पड़ा और अब बाढ़ है। मौसम की इस अनियमितता से निपटने के लिए सरकार क्या कर रही है? किसान का बेटा किसान मजबूरी से बनता है इच्छा से नहीं।

-मेरा अनुभव इसमें अलग है। मैं एक नौजवान से मिला वो विदेश से पढ़कर आया था। मैंने उससे पूछा क्या करते हो तो बोला मैं पशुपालन कर रहा हूं। मैं दूध पैकेजिंग करके बेचता हूं। एक बार मैं किसानों को सम्मानित करने गया तो देखा कि सभी जींस वाले थे। लेकिन आपने जो कहा वो ठीक है। हमें परंपरागत खेती से बाहर निकलना होगा। ज्यादातर किसान परंपरागत खेती करते हैं। बगल वाले ने लाल डिब्बे वाली दवा डाली तो वो भी वही लाकर डालेगा। उसे पता नहीं है कि उसकी फसल, मिट्टी अलग है। हमने सॉयल हेल्थ कार्ड की योजना शुरू की है। अनाब-शनाब खाद का इस्तेमाल रोकना है। मल्टीपल क्रॉप लगाना है। एक तिहाई में फसल, एक तिहाई में टिंबर लगना है। तीसरा पशुपालन। कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था हो रही है।

रुरल इंडिया को लेकर आपना विजन क्या है ?

हमारे देश में शब्दों की राजनीति करने वालों की कमी नहीं है। स्मार्ट सिटी कहो तो कहेंगे स्मार्ट विलेज क्यों नहीं बना रहे हो। स्मार्ट विलेज कहो तो बोलेंगे स्मार्ट सिटी क्यों नहीं बना रहे हो। ज्यादातर जनसंख्या गांवों में रहती है। हमें उन्हें शहरों वाली सुविधा देनी है। हमने स्मार्ट सिटी नहीं स्मार्ट सिटी प्लस योजना बनाई है। हमने 100 से अधिक ऐसे छोटे गांव सलेक्ट किए हैं, जहां शहरों वाली सारी सुविधाएं हों। आत्मा गांव की और सुविधा शहर की। गांव में एक अपनापन होता है। गांव में बारात आती है तो पूरा गांव कहता है कि हमारे गांव में बारात आई है। ये जो गांव की ताकत है, वो भारत को मजबूत बनाती है।

खादी और हैंडलूम

कल खादी और हैंडलूम दिवस है। हमें मालूम है कि महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी। हमारे देश में गरीब से गरीब आदमी को रोजगार देने की ताकत खेती के बाद सबसे ज्यादा हैंडलूम में है। सवा सौ करोड़ देशवासी तय कर लें कि मैं जो कपड़ों पर खर्च करता हूं उनमें से सिर्फ पांच फीसदी खर्च करूंगा तो आज लोगों की जिदंगी बदल जाए। मैं कहता हूं कि दो अक्टूबर को कुछ खादी का खरीदीए। एक समय था जब खादी फ्रीडम की लड़ाई का हिस्सा था। आज हमें खादी फॉर नेशन मुहिम बनाने की जरूरत है।

कार्ल मेहता- सिलिकॉन वैली- आप इतनी यात्रा करते हैं, फिर तुरंत मीटिंग करते हैं, इतना काम कैसे करते हैं। दूसरा सवाल कि आप अपने विदेश नीति के बारे में क्या कहेंगे। विदेश नीति देश हित की नीति होती है। इंडिया फर्स्ट। उसका सेंटर प्वाइंट यही है। भारत के स्ट्रेटिजिक हित की रक्षा हो। भारत आर्थिक दृष्टि से फले-फूले। आज वक्त बदल चुका है। पूरी दुनिया एक दूसरे पर निर्भर है। कोई देश किसी खेमे में नहीं है। हर कोई हर किसी से जुड़ा है। दुनिया में भारत आज एक नई ताकत के साथ अपनी प्रतिष्ठा बना रहा है।

दूसरा सवाल उन्होंने पूछा कि आप इतना सफर करके तुरंत ऑफिस चले जाते हैं। ये सवाल मुझे बहुत दिनों से लोग पूछते हैं कि आप थकते नहीं हैं क्या। सवा सौ करोड़ लोगों की इच्छा, उनके सपने मैं उनसे बहुत जुड़ा हूं। मुझे हमेशा लगता है कि जितनी मेरी शक्ति है मैं उसमें लगा दूं। लोग कहते हैं कि अपने पास इतनी ऊर्जा है तो इतना काम कर सकते हो ये गलत है। एक बार आपको मिशन पता चल जाए तो ऊर्जा अपने आप आ जाती है। ईश्वर ने सभी को बराबर ऊर्जा दी है कोई उसे बेकार करता है कोई इस्तेमाल करता है। मैं उसका इस्तेमाल कर रहा हूं तो बढ़ता जा रही है।

पर्यटन का विकास कैसे हो?

पर्यटन को तेजी से बढ़ावा मिल रहा है। स्वच्छता मिशन से इसमें काफी मदद मिल रहा है। भारत की जो विरासत है उसके लिए दुनिया को आकर्षित करना चाहिए। दुनिया में समुद्र तो कई देशों में मिल जाएगा, लेकिन यदि हम कहें कि पांच हजार साल पुरानी कोई चीज हो तो लोग देखने आएंगे। भोजन की इतनी विविधता है, विदेशों में हर जगह एक ही पिज्जा मिलता है, लेकिन तमिलनाडु में दस किलोमीटर की दूरी में दस टेस्ट मिल जाएंगे। आधुनिक चीजें तो दुनिया में हमसे ज्यादा बहुत सी अच्छी चीजें हैं। हमें अपनी विरासत में पर ही फोकस करना चाहिए।

आपके अनुसार एक वॉलेंटियर या कार्यकर्ता में क्या गुण होने चाहिए। कृपया अपने कार्यकर्ता वाले दिनों के बारे में बताएं।

क्या है माईगव?

क्वीज डॉट माईगव डॉट इन एक वेबसाइट है। इस वेबसाइट पर कहा गया है कि लोग क्विज के जरिए सरकार के कार्यक्रम के बारे में जान सकेंगे। वेबसाइट के पहले पृष्ठ पर दो साल में सरकार द्वारा शासन के सुधार में किए गए पहल के बारे में आप कितना जानते है और क्या आप इस कंपटीशन के लिए तैयार है? इत्यादि बताया गया है। यह वेबसाइट लोगो को कंपटीशन में हिस्सा लेने और खुद की नॉलेज को परखने की चुनौती देता है। क्वीज समाप्त होने पर क्वेश्चन का ऑन्सर प्रकाशित किया जाएगा और जो क्विज में पास होगा उसे गिफ्ट देने की बात वेबसाइट पर कही गई है।

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