कोवैक्सीन लगवाकर पीएम का विपक्ष को जवाब, देश को बड़ा संदेश देने की कोशिश

इस वैक्सीन को लेकर विपक्ष के साथ ही कई स्वास्थ्य कर्मियों ने भी सवाल उठाए थे। विपक्ष की ओर से कई बार बयान दिया गया कि देश में इस वैक्सीन के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए सबसे पहले प्रधानमंत्री को इस वैक्सीन को लगवाना चाहिए।

Update: 2021-03-01 04:07 GMT
कोवैक्सीन लगवाकर पीएम का विपक्ष को जवाब, देश को बड़ा संदेश देने की कोशिश (PC: social media)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सुबह एम्स में कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लगवाई। विभिन्न मंचों पर विपक्ष को करारा जवाब देने वाले पीएम मोदी ने वैक्सीन के जरिए भी विपक्ष को करारा जवाब देने का प्रयास किया है। दरअसल प्रधानमंत्री ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की पहली खुराक ली है।

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इस वैक्सीन को लेकर विपक्ष के साथ ही कई स्वास्थ्य कर्मियों ने भी सवाल उठाए थे। विपक्ष की ओर से कई बार बयान दिया गया कि देश में इस वैक्सीन के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए सबसे पहले प्रधानमंत्री को इस वैक्सीन को लगवाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कोवैक्सीन लगवाकर विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे सवालों का खामोशी से जवाब दे दिया है।

देशवासियों से वैक्सीन लगवाने की अपील

pm-modi-vaccination (PC: social media)

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट के जरिए वैक्सीन की पहली खुराक लेने की जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि एम्स में कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज ली। हमारे डॉक्टर और वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ कम समय में मजबूती से लड़ाई लड़ने का उल्लेखनीय काम किया है।

उन्होंने ऐसे सभी लोगों से वैक्सीन लेने की अपील की जो कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए योग्य हैं। उन्होंने कहा कि हमें साथ मिलकर भारत को कोविड-19 से मुक्त बनाना होगा।

कांग्रेस ने उठाए थे कोवैक्सीन पर सवाल

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की विश्वसनीयता पर शुरू से ही कई सवाल उठाए जा रहे थे। खासकर कांग्रेस के कई नेताओं ने इस वैक्सीन पर सवाल खड़े किए थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी का कहना था कि इस वैक्सीन के प्रति भरोसा पैदा करने के लिए सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी को यह टीका लगवाना चाहिए।

उन्होंने भाजपा को घेरते हुए यह भी कहा था कि अगर वैक्सीन इतनी ही विश्वसनीय है तो भाजपा के नेता सबसे पहले यह वैक्सीन क्यों नहीं लगवाते। हालांकि उस समय भी भाजपा की ओर से जवाब देते हुए यह बात कही गई थी कि सही समय आने पर पीएम मोदी टीका जरूर लगवाएंगे।

शशि थरूर ने बताया था खतरनाक

मनीष तिवारी के अलावा कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी कोवैक्सीन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे। शशि थरूर ने अपने ट्वीट में कहा था कि कोवैक्सीन का अभी तक तीसरे चरण का ट्रायल नहीं हुआ है।

ऐसे में बिना सोचे समझे इस वैक्सीन को लगाने की अनुमति दिया जाना आगे चलकर खतरनाक साबित हो सकता है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने वैक्सीन लगवा ली है। ऐसे ने सवाल ये उठता है कि पीएम मोदी वैक्सीन कब लगवाएंगे।

अखिलेश ने बताया था भाजपा की वैक्सीन

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने तो इसे भाजपा की वैक्सीन बताते हुए यहां तक कह दिया था कि मैं कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा।

उनका कहना था कि मुझे भाजपा की वैक्सीन पर कोई भरोसा नहीं है। हालांकि बाद में उनके बयान को लेकर काफी विवाद पैदा हो गया था। इसे देश के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत पर सवाल खड़ा करने वाला कदम माना गया था।

कुछ डॉक्टरों ने भी खड़े किए थे सवाल

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कुछ डॉक्टरों ने भी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को लेकर संदेह जताया था। डॉक्टरों ने इस बाबत मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को चिट्ठी भी लिखी थी।

सरकार की ओर से कोवैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी देते समय इसके तीनों चरणों का ट्रायल पूरा नहीं हुआ था। डॉक्टरों का कहना था कि अभी देश में कोविशील्ड वैक्सीन ही लगवाई जानी चाहिए। हालांकि वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस आशंका को निराधार बताया था।

वैसे सरकार की ओर से समय-समय पर यह बात स्पष्ट की गई है कि कोवैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा।

covaxin (PC: social media)

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बड़ा संदेश देने की पीएम की कोशिश

जानकारों का कहना है कि अब प्रधानमंत्री मोदी ने कोवैक्सीन की पहली डोज लेकर विपक्ष को जवाब दे दिया है। देश में टीकाकरण का तीसरा चरण 1 मार्च से शुरू हो रहा है और इसमें बुजुर्गों और 45 साल से अधिक ऐसे लोगों को टीका लगाया जाएगा जो गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। टीकाकरण के तीसरे चरण की शुरुआत के मौके पर कोवैक्सीन का टीका लगवा कर पीएम मोदी ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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