भारत को तगड़ा झटका: अब इस प्रोजेक्ट से भी बाहर, कई सालों से था इंतजार

भारत के चाबहार-जाहिदान रेलवे प्रोजेक्ट से बाहर हो जाने के बाद बड़ी खबर मिल रही है। भारत के बाहर आने के बाद अब ईरान एक बड़ी परियोजना पर अकेले ही आगे बढ़ सकता है।

Update: 2020-07-17 08:47 GMT

नई दिल्ली। भारत के चाबहार-जाहिदान रेलवे प्रोजेक्ट से बाहर हो जाने के बाद बड़ी खबर मिल रही है। भारत के बाहर आने के बाद अब ईरान एक और बड़ी परियोजना पर अकेले ही आगे बढ़ सकता है। ये परियोजना गैस फील्ड फारजाद-बी ब्लॉक के विकास के लिए है। इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि ईरान ने भारत को सूचित किया है कि वह फिलहाल गैस फील्ड को अकेले ही विकसित करने जा रहा है। आगे ईरान ने कहा है कि भारत इस परियोजना में बाद में शामिल हो सकता है।

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द्विपक्षीय सहयोग पर प्रभाव

इसी सिलसिले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "फरजाद-बी गैस फील्ड समझौते को लेकर भी कई खबरें चल रही हैं। इसमें एक्सप्लोरेशन स्टेज में भारत की ओएनजीसी (ऑयल एंड नैचुरेल गैस कॉर्पोरेशन) कंपनी भी शामिल थी। हालांकि, ईरान की तरफ से नीतिगत बदलाव के चलते द्विपक्षीय सहयोग पर प्रभाव पड़ा है।

आगे बताते हुए- जनवरी 2020 में हमें बताया गया था कि भविष्य में ईरान अपने आप इस गैसफील्ड का विकास करेगा और वह बाद के चरण में भारत की मौजूदगी चाहता है। इस मामले पर चर्चा जारी है।"

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ईरान की संसद की मुहर का इंतजार

बता दें, भारत सन् 2009 से ही गैस फील्ड का कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए लगातार प्रयासरत था। फरजाद-बी ब्लॉक में 21.6 ट्रिलियन क्यूबिक फीट का गैस भंडार है। सामने आई रिपोर्ट्स के अनुसार, फरजाद-बी ब्लॉक डिवलेपमेंट जो पहले ईरान और ओएनजीसी विदेश का जॉइंट प्रोजेक्ट था, अब उसे एक स्थानीय कंपनी को सौंपा जा सकता है।

साथ ही अमेरिका ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को खत्म करते हुए उस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लागू कर दिए थे जिसका असर ईरान में भारत की परियोजनाओं पर भी पड़ा।

ऐसे में यह फैसला ऐसे समय आया है जब ईरान और चीन 25 सालों के लिए 400 अरब डॉलर की रणनीतिक और आर्थिक समझौते को अंतिम रूप दे रहे हैं। ईरान-चीन की रणनीतिक साझेदारी पर ईरान की संसद की मुहर का इंतजार है।

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ईरान के जवाब का इंतजार

इसके अलावा भारत के चाबहार बंदरगाह और चाबहार जाहेदन रेलवे प्रोजेक्ट से बाहर होने की खबरों को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कयास बताया। हालांकि, उन्होंने यह कहकर गेंद ईरान के पाले में डाल दी कि परियोजनाओं को लेकर ईरान के जवाब का इंतजार है।

इस रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा था कि चाबहार-जाहेदन रेलवे प्रोजेक्ट में फंडिंग में देरी का हवाला देते हुए ईरान ने इससे भारत को बाहर कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को अभी इन परियोजनाओं को लेकर ईरान की तरफ से आधिकारिक मंजूरी का इंतजार है।

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तकनीकी और आर्थिक मुद्दों पर अंतिम फैसला

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, दिसंबर 2019 में भारत-ईरान जॉइंट कमीशन मीटिंग के दौरान इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई थी। ईरान की तरफ से तकनीकी और आर्थिक मुद्दों पर अंतिम फैसला करने के लिए एक आधिकारिक दल को नामांकित किया जाना था। इस पर अभी तक इंतजार जारी है।

आगे विदेश मंत्रालय ने कहा, 2003 से ही भारत चाबहार प्रोजेक्ट को लेकर प्रतिबद्ध रहा है और 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईरान दौरे में ये बंदरगाह आखिरकार ऑपरेशनल हुआ। उसके बाद से ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद बंदरगाह परियोजना पर अच्छी-खासी प्रगति हुई है।

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महामारी के समय में भी चाबहार बंदरगाह व्यस्त

सन् 2018 से एक भारतीय कंपनी चाबहार बंदरगाह को ऑपरेट कर रही है और बंदरगाह पर जहाजों की आवाजाही तेजी से बढ़ी है। यहां तक कि कोरोना वायरस के समय में भी चाबहार बंदरगाह व्यस्त रहता है।

इसी मुद्दे पर ईरान की सरकार ने सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कहा है कि जहां तक चाबहार बंदरगाह की बात है, ईरान क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक प्रगति लाने के लिए इस बंदरगाह को लेकर भारत के साथ अपनी साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध रहा है।

आगे जानकारी के मुताबिक, हमें इस बात की खुशी है कि कोरोना महामारी के समय में भी चाबहार बंदरगाह से माल की आवाजाही बनी हुई है। भारत की देखरेख में चाबहार बंदरगाह दिन पर दिन आगे बढ़ रहा है।

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