बांद्रा कांड पर सियासत शुरू: किसी ने बताई साजिश, तो कोई बोला- केंद्र जिम्मेदार

मुंबई के बांद्रा लाठी चार्ज पर राजनीतिक दलों के बयान आने शुरू हो गए हैं। इसके के साथ आरोप प्रत्यारोप के जरिये अब इस मामले में सियासत भी होने लगी।

Update: 2020-04-14 14:13 GMT

मुंबई: कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन-2 का एलान होने के बाद महाराष्ट्र के बांद्रा रेलवे स्टेशन में हजारों की तादाद में भीड़ उत्तर आई और हंगामा शुरू कर दिया, जिसके बाद भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसी मामले में सियासत शुरू हो गयी है। एक ओर भाजपा नेता इस पूरे घटनाक्रम को एक साजिश बता रहे हैं, तो वहीं उद्धव सरकार के मंत्री केंद्र को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

बांद्रा लाठी चार्ज पर सियासत:

मुंबई के बांद्रा लाठी चार्ज पर राजनीतिक दलों के बयान आने शुरू हो गए हैं। इसके के साथ आरोप प्रत्यारोप के जरिये अब इस मामले में सियासत भी होने लगी।



बांद्रा काण्ड में राजनेताओं के बयान

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बांद्रा में भीड़ के जुटने की वजह को लेकर कहा कि व्हाट्सएप के जरिए कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं। धार्मिक टिप्पणी कर रहे हैं। ऐसे 197 लोगों पर कार्यवाही हुई है और 37 को गिरफ्तार भी किया गया है।

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आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार को घेरा

वहीं महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने बांद्रा में भीड़ इकट्ठा होने के मामले में केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी से बातचीत में सीएम उद्धव ठाकरे ने प्रवासी मजदूरों के घर पहुंचाने का मुद्दा उठाया था।

आदित्य ठाकरे ने ट्विट किया, 'बांद्रा स्टेशन से लोगों को हटा दिया गया है। बांद्रा की घटना हो या सूरत में दंगों की घटना, यह केंद्र सरकार की असफलता है कि वह प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए इंतजाम के बारे में फैसला नहीं कर पा रही है। ये लोग रहने की जगह या खाने की जगह नहीं चाहते, ये अपने घर जाना चाहते हैं।'



इसके अलावा बांद्रा से बीजेपी सांसद पूनम महाजन ने आरोप लगाया कि लोगों को मैसेज भेजे गए थे, उसके बाद भीड़ इकट्ठी हुई। लोगों से ट्रेन के बारे में बताया गया था।

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संजय निरुपम ने उठाए सवाल

कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने ट्वीट कर कहा कि बांद्रा में जो हो रहा है, वो होना ही था. क्योंकि उन्हें खाने को मिल नहीं रहा है. गांव लौटने से मना किया जा रहा है. आखिर कबतक दड़बे में बंद रहेंगे ? सरकारी राहत सिर्फ कागजी आंकड़े हैं. कोई भी सरकार कितने लोगों को मुफ्त खाना खिला सकती है और कब तक ? क्या कोई और विकल्प नहीं है ?



BJP प्रवक्ता ने बताया षड्यंत्र

बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने इस मामले इसे षड्यंत्र बताया। उन्होंने कहा, 'ये घटना प्रशासन की विफलता का उदाहरण है। पुलिस कमिश्नर का दफ्तर बगल में है, ऐसी जगह पर अचानक 15 हजार लोग आ जाते हैं। यह दृश्य आश्चयर्जनक है।'

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उन्होंने तर्क देते हुए सवाल उठाये कि इस क्षेत्र में मजदूरों की संख्या कम है। तो ऐसे में यहां इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर कहां से आए? उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री नवाब मलिक मामले में लीपापोती कर रहे हैं। उन्हें जवाब देना होगा कि ये कैसा षडयंत्र है?

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