कर्नाटक में MUDA घोटाले को लेकर गरमाई सियासत, BJP ने मांगा सिद्धारमैया से इस्तीफा, कांग्रेस ने राज्यपाल को घेरा
Karnataka Politics: राज्यपाल की ओर से मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की अनुमति दिए जाने के बाद कर्नाटक की राजनीति में उबाल आ गया है। मामले में सियासत तेज हो गई है।
Karnataka Politics: मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) की जमीन में घोटाले के मामले को लेकर कर्नाटक की सियासत गरमा गई है। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने इस घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही सिद्धारमैया पद पर रहते हुए मुकदमे का सामना करने वाले राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बन गए हैं। भाजपा ने इस मामले में हमलावर रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से इस्तीफा देने की मांग की है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्यपाल पर केंद्र सरकार के लिए काम करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को पद से हटाने की मांग को लेकर बेंगलुरु में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। इस बीच डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने राज्यपाल के कदम को असंवैधानिक बताया है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर क्या है आरोप
राज्यपाल की ओर से मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की अनुमति दिए जाने के बाद कर्नाटक की राजनीति में उबाल आ गया है। दरअसल मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में कथित तौर से सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में मुआवजा देने के लिए जमीन आवंटित की गई थी। इसकी संपत्ति का मूल्य उनकी जमीन की तुलना में अधिक था जिसे MUDA की ओर से अधिग्रहित किया गया था। अब इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बुरी तरह घिर गए हैं।
भाजपा ने मांगा मुख्यमंत्री से इस्तीफा
26 जुलाई को राज्यपाल ने नोटिस जारी कर मुख्यमंत्री से सात दिन में जवाब मांगा था,लेकिन कर्नाटक सरकार ने राज्यपाल को नोटिस वापस लेने की सलाह दी और उन पर संवैधानिक शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। भाजपा ने आरोप लगाया है कि यह घोटाला करीब 4000 करोड़ रुपए का है। भाजपा का कहना है कि नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को अब पद पर रहने का नैतिक अधिकार नहीं रह गया है और उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
सिद्धारमैया ने दिया लंबी लड़ाई का संकेत
कर्नाटक में करीब 15 महीने पहले सिद्धारमैया की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी थी मगर अब सिद्धारमैया के लिए इन आरोपों से बाहर निकलना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। सिद्धारमैया ने इस मामले में लंबी लड़ाई लड़ने का संकेत देते हुए कहा कि भाजपा को यह बताना चाहिए कि मुझे अपने पद से इस्तीफा देने क्यों देना चाहिए। मैंने क्या अपराध किया है? उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि राज्यपाल को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वे केंद्र की मोदी सरकार के हाथों की कठपुतली बनकर रह गए हैं।
शिवकुमार ने किया मुख्यमंत्री का बचाव
दूसरी ओर राज्यपाल का कहना है कि निष्पक्ष जांच के लिए मुकदमा चलाए जाने का आदेश जरूरी था। उन्होंने कहा कि वे प्रथम दृष्टया मानते हैं कि आरोपों के दस्तावेजों से पता चलता है कि घोटाला हुआ है। इस मामले में मुख्यमंत्री डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री का बचाव किया है। उन्होंने राज्यपाल के कदम को असंवैधानिक बताते हुए दावा किया कि पूरी सरकार और कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री के साथ खड़ी है।
जांच एजेंसियों के लिए खुल गया रास्ता
राज्यपाल गहलोत की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं। राज्यपाल की मंजूरी के बाद में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण के जमीन घोटाले में सिद्धारमैया के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए जांच एजेंसियों के लिए दरवाजा खुल गया है। भाजपा की ओर से हमलावर रुख अपनाए जाने के बाद इस घोटाले को लेकर कर्नाटक की सियासत गरमा गई है। आने वाले दिनों में सियासी घमासान और तेज होने की संभावना जताई जा रही है।