आंदोलनों की मौजूदा लहर देश के लोकतंत्र को करेगी मजबूत: प्रणब मुखर्जी

नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शनों हो रहा है। अब इस बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सहमति और असहमति लोकतंत्र के मूल तत्व हैं।

Update:2020-01-23 22:23 IST

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शनों हो रहा है। अब इस बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सहमति और असहमति लोकतंत्र के मूल तत्व हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे मुखर्जी ने विरोध प्रदर्शनों पर कहा कि देश में शांतिपूर्ण आंदोलनों की मौजूदा लहर एक बार फिर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को गहरा और मजबूत बनाएगी। पूर्व राष्ट्रपति रहे प्रणब के इस बयान से बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा हो सकती है।

दरअसल, बीजेपी और सरकार ने सीएए पर हो रहे प्रदर्शनों की मंशा पर सवाल उठाए हैं। बीजेपी ने आज ही कहा कि शाहीन बाग अब शेम बाग में बदल गया है, जहां नए कानून को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। वैसे माना जाता है कि प्रणब मुखर्जी मोदी सरकार के प्रति नरम रुख रखते हैं। पीएम मोदी और उनके बीच संबंध काफी अच्छे हैं। यहां तक कि वह नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में भी शामिल हो चुके हैं, जिससे कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई थी।



प्रणब मुखर्जी ने चुनाव आयोग द्वारा आयोजित पहले सुकुमार सेन स्मृति लेक्चर में यह बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र समय की कसौटी पर हर बार खरा उतरा है। पिछले कुछ महीनों में विभिन्न मुद्दों पर लोग सड़कों पर उतरे, खासकर युवाओं ने इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आवाज को मुखर किया। संविधान में इनकी आस्था दिल को छूने वाली बात है।

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पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि आम राय लोकतंत्र की जीवन रेखा है। लोकतंत्र में सभी की बात सुनने, विचार व्यक्त करने, विमर्श करने, तर्क वितर्क करने और यहां तक कि असहमति का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि देश में शांतिपूर्ण आंदोलनों की मौजूदा लहर एक बार फिर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को गहरा और मजबूत बनाएगी।

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प्रणब मुखर्जी ने कहा कि चुनाव आयोग अपना काम अच्छी तरह से कर रहा है और इसने अपने उद्देश्य को पूरा किया है। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग की अवमानना से चुनावी प्रक्रिया की बदनामी होगी। जनता का जनादेश अटल है और इसकी पवित्रता सर्वोच्च है। उन्होंने इसे बनाए रखना चुनाव आयोग के हाथ में है। उन्होंने कहा कि वह ऐसा करेंगे और सभी अटकलों को विराम लगाएंगे, ऐसा मुझे भरोसा है।

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