"कृपया याद रखें, जज आते और चले जाते हैं" दुष्यंत दवे ने व्यक्त की निऱाशा, लिखा पत्र

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को बुधवार के दिन यानी आज एक पत्र लिखा। दुष्यंत ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े को लिखे गए इस पत्र में जस्टिस अरुण मिश्रा के विदाई समारोह में कथित रूप से बोलने से रोके जाने पर निराशा जताई है।

Update:2020-09-03 11:53 IST
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को बुधवार के दिन यानी आज एक पत्र लिखा। इस पत्र में निराशा जताई है।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को बुधवार के दिन यानी आज एक पत्र लिखा। दुष्यंत ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े को लिखे गए इस पत्र में जस्टिस अरुण मिश्रा के विदाई समारोह में कथित रूप से बोलने से रोके जाने पर निराशा जताई है। वरिष्ठ वकील दवे ने सीजेआई को 'निराशा और कड़ी निंदा' व्यक्त करते हुए कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित किसी भी समारोह में फिर से भाग नहीं लेंगे, जब तक उनका एससीबीए अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म नहीं होता है।

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कृपया याद रखें, जज आते हैं और चले जाते हैं

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े को लिखे इस पत्र में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा, 'मुझे स्वीकार करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ऐसे स्तर पर आ गया है, जहां न्यायाधीश बार से डरते हैं। कृपया याद रखें, जज आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन हम स्थिर रहते हैं। हम इस महान संस्थान की वास्तविक ताकत हैं, क्योंकि हम स्थायी हैं।'

इसी कड़ी में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा, 'मुझे कहना चाहिए, मैं व्यक्तिगत रूप से इन घटनाओं से बहुत दुखी हूं और फिर कभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित किसी भी समारोह में भाग नहीं लूंगा।' साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें टीम सुप्रीम कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टीम से 12.30 बजे सीजेआई की सेरेमोनियल बेंच में शामिल होने के लिए 10.06 बजे एक लिंक मिला।

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फोटो-सोशल मीडिया

वीडियो और ऑडियो एकदम सही

आगे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा, 'मैंने सुबह 10.16 बजे सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा भेजे गए वॉट्सऐप मैसेज का सुबह 10.18 पर जवाब देते हुए निमंत्रण को स्वीकार किया। मैं 12.20 बजे के आसपास लिंक से जुड़ा और सुप्रीम कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टीम द्वारा पुष्टि की गई कि वीडियो और ऑडियो एकदम सही हैं।'

पत्र में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा, 'तब मैंने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, SCORA अध्यक्ष शिवाजी जाधव के साथ बातचीत की। एक बार जब अदालत इकट्ठी हुई, तो मैंने सारी कार्यवाही स्पष्ट रूप से देखी और सुनी। लेकिन अंत में मुकुल रोहतगी ने विदाई दी।'

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निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया

दरअसल बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा का 2 सितंबर को रिटायरमेंट था। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने विदाई समारोह के आयोजन का मन बनाया था, लेकिन कोरोना के कारण जस्टिस अरुण मिश्रा ने बार के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था।

इस पर अपने पत्र में अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने कहा, 'जब सेरेमनी समाप्त हो गई, तो मुझे लगा कि मुझसे बोलने के लिए अनुरोध किया जाएगा, इसके बजाय श्री जाधव से अनुरोध किया गया। कुछ अज्ञात कारणों से मुझे बार-बार डिस्कनेक्ट किया जा रहा था, लेकिन मैंने हर बार खुद को कनेक्ट किया और फिर से जुड़ गया।'

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