भिड़े किसान-पुलिस: BJP दफ्तर में जमकर की तोड़फोड़, पेट्रोल पंप का भी किया घेराव

पंजाब में किसानों ने रिलायंस के एक पेट्रोल पंप को घेर लिया। इसके अलावा किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। साथ ही बैरिकेंडिंग तोड़कर बीजेपी दफ्तर में तोड़फोड़ की।

Update: 2020-12-25 09:21 GMT
भिड़े किसान-पुलिस: BJP दफ्तर में जमकर की तोड़फोड़, पेट्रोल पंप का भी किया घेराव

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते एक महीने से किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) जारी है। अपनी मांगों पर अड़े किसानों ने अब इस आंदोलन को और तेज कर दिया है। इस क्रम में किसानों ने लुधियाना के पॉश इलाके दुगरी में स्थित रिलायंस के एक पेट्रोल पंप को घेर लिया। किसान किसी को भी पेट्रोल पंप से पेट्रोल या डीजल भरवाने नहीं दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि दिल्ली में बैठे किसानों के समर्थन में यह कदम उठाया गया है।

किसानों और पुलिस टीम के बीच झड़प

वहां बैठे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इस परेशानी का हल निकालना चाहिए। धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि किसानों के लिए हम खूब सारी सामग्री लेकर सीमा पर जा रहे हैं, साथ ही अपने शहर में प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे केंद्र पर दबाव बने। वहीं दूसरी ओर पंजाब के भटिंडा में किसानों और पुलिस टीम के बीच झड़प हो गई। दरअसल, ये किसान बीजेपी ऑफिस का घेराव करने जा रहे थे, जहां पुलिस ने भारतीय किसान यूनियन के किसानों को बैरिकेड लगाकर रोकने की कोशिश की, जिसके बाद ये झड़प हुई।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

बीजेपी ऑफिस में तोड़फोड़

लेकिन किसान बैरिकेडिंग तोड़कर बीजेपी ऑफिस में घुस गए और वहां पर जमकर तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं जालंधर में किसानों ने पंजाब बीजेपी नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोरंजन कालिया के घर का घेराव किया, वहीं पुलिस ने किसानों को तितर बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। किसानों द्वारा पठानकोट-अमृतसर राष्ट्रीय मार्ग को जाम कर दिया गया। दरअसल, बीजेपी की पूर्व विधायक सीमा देवी परमानंद गांव में एक प्रोग्राम में शामिल होने आ रही थीं।

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सरकार ने की बातचीत करने की अपील

बता दें कि सरकार की तरफ से गुरुवार को किसानों को एक और खत भेज बातचीत करने की अपील की गई है। चिट्ठी में लिखा गया है कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सरकार गंभीर है। साथ ही सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़ी कोई भी नई मांग जो नए कृषि कानूनों के दायरे से बाहर है, उसे बातचीत में शामिल करना तर्कसंगत नहीं होगा। बुधवार को ही किसानों ने सरकार के पिछले न्योते को ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि सरकार के प्रस्ताव में दम नहीं, नया एजेंडा लाएं तभी बात होगी।

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