जमने लगा पुष्कर मेले का रंग, विदेशी सैलानियों पर चढ़ने लगा है राजस्थानी रंग

हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक स्थल है पुष्कर, जहां ब्रह्माजी का एकलौता मंदिर है। कार्तिक मास में यहां एकादशी से मेला लगता है। जिसकी छंटा देश के साथ विदेशों में भी देखने को मिलती है। हजारों लोग इस मेले में आते है और यहां के पवित्र झील में डूबकी लगाकर मन को पवित्र करते हैं।

Update:2019-11-07 10:01 IST

जयपुर: हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक स्थल है पुष्कर, जहां ब्रह्माजी का एकलौता मंदिर है। कार्तिक मास में यहां एकादशी से मेला लगता है। जिसकी छंटा देश के साथ विदेशों में भी देखने को मिलती है। हजारों लोग इस मेले में आते है और यहां के पवित्र झील में डूबकी लगाकर मन को पवित्र करते हैं।

 

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मुख्य आकर्षण

प्रशासन इस मेले की पूरी व्यवस्था करता है, साथ ही कला संस्कृति व पर्यटन विभाग इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयाजन करते हैं। पुष्कर मेले में पशु मेला भी लगता है, और यहां पशुओं से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम भी किए जाते हैं, जिसमें श्रेष्ठ नस्ल के पशुओं को सम्मानित किया जाता है। जो पशु मेले का मुख्य आकर्षण होता है।

 

दुनिया में अलग पहचान

किसी पौराणिक स्थल पर आम तौर पर जिस संख्या में पर्यटक आते हैं, पुष्कर में आने वाले पर्यटकों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है। इनमें बडी संख्या विदेशी सैलानियों की है, जिन्हें पुष्कर खास तौर पर पसंद है। हर साल कार्तिक महीने में लगने वाले पुष्कर ऊंट मेले ने तो इस जगह को दुनिया भर में अलग ही पहचान दे दी है।

 

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कई संस्कृतियों का मिलन

मेले के समय पुष्कर में कई संस्कृतियों का मिलन सा देखने को मिलता है। एक तरफ तो मेला देखने के लिए विदेशी सैलानी पडी संख्या में आते हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने पशुओं के साथ मेले में शामिल होते हैं। मेला मरुस्थली जमीन के मैदान में लगाया जाता है। ढेर सारी दुकानें, खाने-पीने के स्टाल, सर्कस, झूले और न जाने क्या-क्या इस मेले की खूबसूरती बढ़ाते हैं। इस मेले का ऊंटों से याराना है। कहते हैं ऊंट, मेला और रेगिस्तान की नजदीकी है इसलिए ऊंट तो हर तरफ देखने को मिलते ही हैं।

 

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चढ़ा राजस्थानी रंग

इस मेले में विदेशी सैलानी भी राजस्थानी रंग में नजर आए। मेले में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न प्रतियोगिताएं हो रही हैं। वैसे तो मेले का रंग चढने लगा है लेकिन धार्मिक मेला कार्तिक एकादशी स्नान के साथ 8 नवंबर से शुरू होगा।

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