राजस्थान गैंंगरेप पर बवाल: अब सड़क पर आई भाजपा, हिरासत में लिए गए पूनिया

राजस्थान के बारां में हुए दुष्कर्म को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जयपुर में सड़कों पर उतर आई है। सतीश पूनिया के नेतृत्व में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। 

Update: 2020-10-05 07:35 GMT
बारां दुष्कर्म कांड को लेकर किया प्रदर्शन

जयपुर: उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए दुष्कर्म कांड के बाद अब राजस्थान के बारां में हुए दुष्कर्म को लेकर राजधानी जयपुर में माहौल गरमा गया है। दरअसल, इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जयपुर में सड़कों पर उतर आई है। राजधानी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

सतीश पूनिया को पुलिस ने लिया हिरासत में

इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और जयपुर पुलिस के बीच झड़प की स्थिति पैदा हो गई। वहीं बीजेपी की एक टीम पीड़िता के परिवार से मुलाकात करने के लिए बारां भी पहुंची थी। वहीं सतीश पूनिया ने कहा है कि हमने राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा है। आने वाले एक या दो दिनों में हम उनसे मुलाकात करेंगे। गौरतलब है कि भाजपा की ओर से लगातार इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार पर हमला किया जा रहा है।

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सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, राजस्थान के बारां जिले में दो नाबालिग बहनों के हैवानियत का शिकार होने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, बारां की रहने वाली दो नाबालिग बहनें 19 सितंबर को अचानक घर से गायब हो गई थीं, जिन्हें तीन दिन बाद यानी 22 सितंबर को कोटा से बरामद किया गया। इस दौरान छोटी बहन ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि दो लोग उन्हें नलका स्टेशन लेकर गए, उसके बाद यहां से सुबह आठ बजे जयपुर लेकर गए।

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मामले को लेकर बैकफुट पर आई गहलोत सरकार

पीड़िता ने बताया कि पहले दो लोगों ने उनके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद दो से तीन लोग और आए और उन्होंने भी हमारे साथ रेप किया। उसने बताया कि इसके बाद जब वो लोग जयपुर से वापस कोटा आए तो उन्होंने अपने पिता को फोन पर घटना की पूरी जानकारी दी। वहीं जब इस बारे में पुलिस से शिकायत की गई तो उन्हें फोन पर जान से मारने की धमकी दी गई। पुलिस पर ढिलाई का आरोप लगा है। वहीं अब इस मामले को लेकर अशोक गहलोत सरकार भी बैकफुट पर आ गई है।

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