44 बार जेल जा चुके हैं राकेश टिकैत, किसानों के लिए छोड़ दी दिल्ली पुलिस की नौकरी

राकेश टिकैत बड़े किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे बेटे हैं। टिकैत की एक आवाज पर किसान दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की सत्ता हिला देने की ताकत रखते थे।

Update:2021-01-29 11:35 IST
44 बार जेल जा चुके हैं राकेश टिकैत, किसानों के लिए छोड़ दी दिल्ली पुलिस की नौकरी

लखनऊ: राकेश टिकैत की अगुवाई में कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले दो महीने से किसानों का आंदोलन चल रहा है। हालांकि 26 जनवरी के मौके पर राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा से किसान आंदोलन कमजोर पड़ गया था। गाजीपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस और फोर्स की तैनाती इस ओर इशारा कर रही थी कि किसानों का आंदोलन किसी भी समय खत्म हो सकता है।

इसी बीच गुरुवार की शाम को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत मीडिया के सामने भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। साथ ही टिकैत फूट-फूटकर रोने भी लगे। टिकैत का रोना उनके समर्थकों को नागवार गुजरा। राकेश टिकैत के निकले आंसुओं ने पूरे माहौल को एकदम से बदल दिया। बोरिया बिस्तर समेट रहे किसानों ने फिर से डेरा जमा दिया है। वहीं कई नेताओं का भी अब टिकैत को समर्थन मिल रहा है।

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इन सब के बीच किसान नेता राकेश टिकैत सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। राकेश टिकैत बड़े किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे बेटे हैं। टिकैत की एक आवाज पर किसान दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की सत्ता हिला देने की ताकत रखते थे। महेंद्र सिंह टिकैत ने एक नहीं कई बार केंद्र और राज्य की सरकारों को अपनी मांगों के आगे झुकने को मजबूर किया। महेंद्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन के लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।

कौन हैं राकेश टिकैत?

राकेश टिकैत की पहचान ऐसे व्यवहारिक नेता की है जो धरना-प्रदर्शनों के साथ-साथ किसानों के व्यवहारिक हित की बात रखते रहे हैं। राकेश टिकैत के पास इस वक्त भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की कमान है और यह संगठन उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के साथ-साथ पूरे देश में फैला हुआ है। किसान आंदोलन जुड़े सभी फैसले राकेश ही लेते हैं। राकेश का जन्म मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई के बाद राकेश ने एलएलबी की ड‍िग्री ली।

किसानों के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी

बताते हैं कि राकेश दिल्ली पुलिस में SI यानी कि सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती हुए थे, लेकिन किसानों के लिए नौकरी छोड़ दी। उसके बाद राकेश ने पूरी तरह से भारतीय किसान यूनियन के साथ किसानों की लड़ाई में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। पिता महेंद्र सिंह टिकैत की कैंसर से मृत्यु के बाद राकेश टिकैत ने पूरी तरह भारतीय किसान यूनियन (BKU) की कमान संभाल ली।

राजनीति में आने की कोशिश की, लेकिन मिली हार

किसान आंदोलन के अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी आने की कोशिश की थी। पहली बार 2007 मे उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उसके बाद उन्होंने 2014 में अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन दोनों ही चुनाव में उन्हें हार मिली।

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44 बार गए जेल

किसानों की लड़ाई के चलते भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं। मध्यप्रदेश में एक समय किसान के भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ उनको 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था. इसके बाद दिल्ली में संसद भवन के बाहर किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने हेतु सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, गन्ना जला दिया था, जिसकी वजह से उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। राजस्थान में भी किसानों के हित में बाजरे के मूल्य बढ़ाने के लिए सरकार से मांग की थी, सरकार द्वारा मांग न मानने पर टिकैत ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। जिस वजह से उन्हें जयपुर जेल में जाना पड़ा था।

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