बैंक ग्राहक सावधान! अब इस पर आरबीआई ने किया प्रहार
बताते चलें कि अभी तक-यह पता नहीं चल पाया है कि लक्ष्मी विलास बैंक पर कौन-कौन से प्रतिबंध लागू होंगे। किसी बैंक के पीसीए में रखे जाने पर उसके ग्राहकों को फिक्र करने की जरूरत नहीं होती,
मुंबई: रिजर्व बैंक आफ इंडिया लगातार प्राइवेट बैंकों पर कार्रवाई कर रही है। अब आरबीआई ने प्राइवेट बैंक लक्ष्मी विलास बैंक पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क में डाल दिया है। ये जानकारी खुद लक्ष्मी विलास बैंक ने दी है। इस बैंक के खताधारक को घबराने की जरूरत नहीं है। हम इसे जुड़ी सारी जानकारी आपको नीचे बता रहे हैं।
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आरबीआई बैंको पर क्यों लेता है एक्शन
बता दें कि RBI एनपीए ज्यादा होने, अपर्याप्त कैपिटल टू रिस्क-वेटेड असेट्स रेश्यो और कॉमन इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) जैसी वजहों के चलते बैंकों को PCA में डाल देता है। पीसीआई में शामिल बैंकों की हालत जब तक नहीं सुधरती, तब तक ये कोई बड़ा नया कर्ज नहीं दे सकते हैं। इससे पहले भी कई बड़े सरकारी बैंक PCA में आ चुके है।
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क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार को बैंक के डायरेक्टर्स पर धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। इसके बाद उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा जांच शुरू हो गई है। इस बैंक के अधिकारियों पर 790 करोड़ रुपए के गबन के आरोप हैं। वित्तीय सेवा कंपनी रेलिगेयर फिनवेस्ट की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने केस दर्ज किया था।
रेलिगेयर कंपनी का कहना है कि उसने 790 करोड़ रुपए की एफडी की थी, जिसमें से हेरा-फेरी की गई है। पुलिस ने कहा कि शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि पैसों में हेराफेरी योजना बद्ध तरीके से की गई।
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क्यों लक्ष्मी विलास बैंक को PCA में डाला गया
आरबीआई को जब लगता है कि किसी बैंक के पास जोखिम का सामना करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है। आय नहीं हो रही या एनपीए बढ़ रहा है तो उस बैंक को पीसीए में डाल दिया जाता है। पीसीए में शामिल बैंक नए कर्ज नहीं दे सकते और नई ब्रांच नहीं खोल सकते।
अब ग्राहकों का क्या होगा
बताते चलें कि अभी तक-यह पता नहीं चल पाया है कि लक्ष्मी विलास बैंक पर कौन-कौन से प्रतिबंध लागू होंगे। किसी बैंक के पीसीए में रखे जाने पर उसके ग्राहकों को फिक्र करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि आरबीआई ने 'बासेल मानकों' के अनुरूप बैंकों की वित्तीय सेहत दुरुस्त रखने के लिए पीसीए फ्रेमवर्क बनाया है, ताकि बैंक अपनी पूंजी का सदुपयोग कर सकें और जोखिम का सामना करने को तैयार रहें।
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