बिजली कर्मचारियों के लिए बुरी खबर, DHFL बोर्ड को RBI ने भंग कर दिया

भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआई) ने प्रशासनिक मुद्दों और डिफॉल्‍ट करने की वजह से बुधवार को संकट का सामना कर रहे DHFL के निदेशक बोर्ड को भंग कर दिया है। इसके अलावा आरबीआई ने DHFL के लिए एक प्रशासक भी नियुक्‍त कर दिया है।

Update: 2019-11-20 14:12 GMT

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआई) ने प्रशासनिक मुद्दों और डिफॉल्‍ट करने की वजह से बुधवार को संकट का सामना कर रहे DHFL के निदेशक बोर्ड को भंग कर दिया है। इसके अलावा आरबीआई ने DHFL के लिए एक प्रशासक भी नियुक्‍त कर दिया है।

आरबीआई ने अपने एक बयान में कहा है कि वह जल्‍द ही DHFL के लिए दिवालापन प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश करेगा। केंद्रीय बैंक ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक कानून, 1934 की धारा 45-आईई (1) का उपयोग करते हुए दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (DHFL) के निदेशक बोर्ड को भंग किया जाता है और एक प्रशासक की नियुक्‍ति की जाती है।

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आरबीआई ने अपने बयान में कहा है कि DHFL द्वारा कई प्रशासनिक गड़बड़िया करने और कई भुगतान देनदारियों में चूक करने की वजह से निदेशक मंडल को भंग करने का निर्णय किया गया है।

केंद्रीय बैंक ने बताया कि इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ आर सुब्रामनियाकुमार को कानून की धारा 45-आईई(2) के तहत DHFL का प्रशासक नियुक्‍त किया गया है।

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केंद्रीय बैंक ने यह भी बताया है कि वह जल्‍द ही वह दिवाला और दिवालियापन नियम, 2019 के तहत कंपनी के लिए समाधान प्रक्रिया की शुरुआत करेगा और दिवाला समाधान पेशेवर नियुक्‍त करने के लिए एनसीएलटी के पास आवेदन करेगा।

यह देश की चौथी सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंसर कपनी रही है, लेकिन इन दिनों DHFL संकट में हैं। DHFLकथित अनियमितताओं को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रही है। आरोप है कि इस कंपनी के ग्लोबल टेररिस्ट दाऊद इब्राहिम के सहयोगी रहे इकबाल मिर्ची से लिंक हैं।

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कंपनी पर फंड डायवर्जन के आरोप लगाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सरकार गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) द्वारा भी जांच शुरू कर सकती है, अगर ऐसा होता है तो कंपनी से जुड़े सभी भुगतानों को रोका जा सकता है।

UPPCL घोटाले में DHFL का नाम

साल 2017 से अब तक यूपीपीसीएल ने 4,100 करोड़ रुपये से ज्यादा का पीएफ हाउसिंग फाइनेंस कंपनी DHFL में निवेश किया है। इसमें से यूपीपीसीएल को केवल 1,855 करोड़ रुपये ही मिले हैं।

सुधांशु द्विवेदी और प्रवीण गुप्ता ने उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट एवं उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट में जमा जीपीएफ व सीपीएफ की धनराशि को DHFL में लगा दिया था। उस समय प्रवीण सीपीएफ और जीपीएफ ट्रस्ट का कार्यभार संभाल रहे थे।

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उन्होंने तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी से अनुमोदन प्राप्त कर वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 2015 के आदेश को दरकिनार करते हुए फंड की 50 प्रतिशत से अधिक राशि को DHFL में निवेश किया। गौरतलब है कि DHFL अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की श्रेणी में शामिल नहीं है।

बता दें कि इस मामले में उत्तर प्रदेश की सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। इस पूरे मामले की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) जांच कर रही है। इस मामले में पूर्व एमडी एपी मिश्रा, सुधांशु द्विवेदी और प्रवीण गुप्ता समेत घोटाले में शामिल कई अधिकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

शैलेन्द्र दुबे ने कही ये बात

इधर पीएफ घोटाले के विरोध में आंदोलन कर रही के यूपी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा है कि रिजर्व बैंक के ताजा आदेश के बाद अब यूपी सरकार के सामने कर्मचारियों के पीएफ की जिम्मेदारी लेने और इसके लिए गजट नोटिफिकेशन जारी करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है।

साल 2017-18 में ऑडिट की गई वित्तीय रिपोर्ट के मुताबिक DHFL की कुल संपत्ति 8,795 करोड़ रुपये है, जबकि लेनदारी बहुत ज्यादा है। कंपनी ने बैंकों (भारतीय और विदेशी दोनों) के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों से 96,880 करोड़ रुपये का कर्जा ले रखा है। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने कम से कम 36 बैंकों से कर्ज लिया है- जिसमें 32 राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों के साथ-साथ छह विदेशी बैंक भी शामिल हैं।

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कंपनी पर 83,873 करोड़ का बकाया

DHFL के रिजोल्यूशन प्लान के मुताबिक कंपनी पर नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) का 41.431 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं बैंकों का 27,527 करोड़ रुपये, 6,188 करोड़ की एफडी, 2,747 करोड़ रुपये की एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग (ईसीबी), नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के 2,350 करोड़, सब-कर्ज और पर्पेचुअल कर्ज क्रमश: 2,267 करोड़ और 1.263 करोड़ रुपये और कमर्शियल पेपर 100 करोड़ रुपये के हैं। इस तरह कंपनी पर कुल 83,873 करोड़ रुपये बकाया है।

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