नहीं रुक रही कालाबाज़ारी, अब तक इस दवा की कीमत तय नहीं हो पाई

फार्मा बाजार से मिली जानकारी के मुताबिक 'रेमडेसिविर' को अभी भी देश में कोरोना मरीजों को प्रयोग के तौर पर ही दिया जा रहा है। अभी इसको कोरोना की दवा की श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है।

Update:2020-07-30 12:49 IST

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ। कोरोना वायरस के गंभीर रोगियों के इलाज में उम्मीद जगाने वाली 'रेमडेसिविर' दवा की पूरी दुनिया में मांग है। कोरोना के गंभीर मरीजों पर यह दवा असरदायक मानी जा रही है। यहीं कारण है कि पूरे देश से इस दवा की कालाबाजारी की शिकायते आ रही है। हालांकि कई राज्य सरकारों ने इसके लिए ड्रग और मेडिसिन डीलरों को एडवाइजरी जारी की लेकिन इसके बावजूद इस दवा की कालाबाजारी रूकने का नाम नहीं ले रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि देश में अभी तक 'रेमडेसिविर' दवा का मूल्य तय नहीं किया गया है। पिछले दिनों भारत सरकार के फार्मास्युटिकल्स विभाग (डीओपी) ने इसकी कालाबाजारी को देखते हुए दवा निर्माताओं से इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा था। जबकि ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों को जीवन रक्षक दवा की तय कीमत पर उपलब्धता सुनिश्चित कराने के आदेश दिए थे।

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प्रयोग के तौर पर ही इस्तेमाल किया जा रहा

दरअसल, हमारे देश में ड्रग एंड कॉस्मेटिक कानून के तहत दवा की श्रेणी में परिभाषित की गई दवाओं की कीमत नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथारिटी (एनपीपीए) निर्धारित करता है। ऐसे में अगर किसी उत्पाद को दवा की श्रेणी में परिभाषित नहीं किया गया है, तो वह एनपीपीए के दायरे से बाहर चला जाता है। जहां तक 'रेमडेसिविर' की बात है तो पूरी दुनिया में इसे अभी प्रयोग के तौर पर ही इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि अभी इसे अमेरिका में भी 'फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन' से मंजूरी नहीं मिली है। भारत में इस दवा का प्रयोग केवल आपात स्थिति में करने के निर्देश दिए गए है।

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कोरोना की दवा की श्रेणी में शामिल नहीं किया गया

इधर, फार्मा बाजार से मिली जानकारी के मुताबिक 'रेमडेसिविर' को अभी भी देश में कोरोना मरीजों को प्रयोग के तौर पर ही दिया जा रहा है। अभी इसको कोरोना की दवा की श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है। यहीं कारण है कि अभी तक देश में इस दवा का कोई निर्धारित मूल्य नहीं है। जिसकी वजह से इसकी कालाबाजारी हो रही है। कई राज्यों में इस दवा के 10 गुना तक दाम लिए जा रहे है।

दवा दुकानदारों को दवा बढ़े हुए दाम पर मिल रही

दवा दुकानदारों का कहना है कि वह इस संबंध में तब तक कुछ नहीं कर सकते जब तक कि सरकारी स्तर पर इस दवा के दाम निर्धारित नहीं किए जाते। उनका कहना है वह सभी दवाओं की तरह इस दवा पर भी केवल 10 से 15 प्रतिशत तक ही मुनाफा कमा रहे है। दवा दुकानदारों के मुताबिक उन्हे ही यह दवा बढ़े हुए दाम पर मिल रही है। इसके अलावा सरकारी सख्ती के कारण कई दुकानदार तो ऐसे है जो इस दवा को बेंचने से ही परहेज कर रहे है। बता दे कि मौजूदा समय में माइलेन फार्मा, सिप्ला और हेटरो फार्मा कंपनियां 'रेमडेसिविर' दवा का निर्माण कर रही है।

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