जानिए केदारनाथ सिंह के बारे में, हिंदी के ऐसे कवि जो युवा पीढ़ी के लिए हैं मिसाल
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कवि केदारनाथ सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गांव में हुआ था। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की और यहीं से उन्होंने पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की।
लखनऊ: हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार केदारनाथ सिंह (Kedarnath Singh) की आज पुण्यतिथि है। 19 मार्च 2018 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। दिल्ली में उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। केदारनाथ आज की युवा पीढ़ी पर भी अपनी गहरी छाप छोड़ते हैं।
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कवि केदारनाथ सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गांव में हुआ था। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की और यहीं से उन्होंने पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की। जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी (JNU) में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष काम किया था।
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केदारनाथ सिंह की प्रमुख काव्य कृतियां
उनकी प्रमुख काव्य कृतियों में ‘जमीन पक रही है', ‘यहां से देखो’, ‘उत्तर कबीर’, ‘टालस्टॉय और साइकिल’ और ‘बाघ’ शामिल हैं। वहीं, बात करें उनकी प्रमुख गद्य कृतियों की तो ‘कल्पना और छायावाद’, ‘आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान’ और ‘मेरे समय के शब्द’ हैं।
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इन पुरस्कारों से हुए सम्मानित
हिंदी साहित्य में अहम योगदान के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, भारत-भारती सम्मान, दिनकर सम्मान और आशान सम्मान से सम्मानित किया गया था। उन्हें साल 2013 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी नवाजा गया था। बता दें कि इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले केदारनाथ हिंदी के १०वें साहित्यकार थे।
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