झारखंड सरकार में हिस्सेदारी से खुश नहीं है राजद, प्रदेश अध्यक्ष का दर्द आया सामने

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में हिस्सेदारी से राजद खुश नहीं है। पार्टी खुद को उपेक्षित महसूस कर रही है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने खुद कहा है कि, आरजेडी सरकार में उपेक्षित है। जो हिस्सेदारी पार्टी को मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली है।

Update:2020-12-31 20:19 IST
झारखंड सरकार में हिस्सेदारी से खुश नहीं है राजद, प्रदेश अध्यक्ष का दर्द आया सामने

रांची: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में हिस्सेदारी से राजद खुश नहीं है। पार्टी खुद को उपेक्षित महसूस कर रही है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने खुद कहा है कि, आरजेडी सरकार में उपेक्षित है। जो हिस्सेदारी पार्टी को मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली है। उन्होने कहा कि, आने वाले दिनों में पार्टी को बूथ स्तर पर मज़बूत किया जाएगा ताकि, आरजेडी को याचक की भूमिका में नहीं रहना पड़े। आपको बता दे कि, विधानसभा चुनाव में राजद सात सीटों पर चुनाव लड़ी और मात्र एक सीट पर उसे कामयाबी मिली। हालांकि, यूपीए गठबंधन ने राजद के एक विधायक को मंत्री भी बनाया है।

राजद की नाराज़गी की वजह

झारखंड प्रदेश राजद ने विधानसभा चुनाव में 15 सीटों की मांग की थी। बात नहीं बनी तो पार्टी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। हालांकि, आरजेडी को 10 की जगह मात्र 07 सीटों पर ही चुनाव लड़ने का मौका मिला। खास बात ये है कि, सात सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी पार्टी मात्र चतरा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर सकी और छह सीटों पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा। गठबंधन धर्म का पालन करते हुए पार्टी के एकमात्र विधायक सत्यानंद भोगता को श्रम मंत्री बनाया गया। पार्टी श्रम विभाग मिलने से भी खुश नहीं है। आरजेडी को मलाइदार विभाग की उम्मीद थी लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली।

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बोर्ड निगम में राजद की नज़र

पहले विधानसभा चुनाव में मनमाफिक सीटें नहीं मिलना। फिर राजद कोटे के मंत्री को मनमुताबिक विभाग नहीं मिलना। पार्टी को एक के बाद एक धक्का लगने से दल के अंदर नाराज़गी है। पार्टी को अंतिम उम्मीद बोर्ड निगम में हिस्सेदारी को लेकर है। हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अबतक बोर्ड निगम का गठन नहीं किया है। सरकार के एक साल पूरे होने के बाद भी ज्यादातर बोर्ड निगम खाली हैं। राजद महत्वपूर्ण बोर्ड निगम में हिस्सेदारी चाहता है।

मंत्री भी नहीं हैं खुश

राजद कोटे के मंत्री सत्यानंद भोगता भी श्रम, प्रशिक्षण एवं नियोजन विभाग मिलने से खुश नहीं हैं। हालांकि, हाल में ही सरकार की ओर से कौशल विकास विभाग भी श्रम विभाग के अधीन कर दिया गया है। बावजूद इसके विभागीय मंत्री की दिलचस्पी नहीं बढ़ी है। सरकार बनने से लेकर अबतक श्रम विभाग की ओर से किसी बड़ी योजना को जनता के सामने पेश नहीं किया गया है। कोरोना काल में बाहर से मज़दूरों को लाने को लेकर लेबर डिपार्टमेंट की भूमिका महत्वपूर्ण थी लेकिन विभागीय मंत्री की सक्रियता नहीं के बराबर दिखी। कोविड का प्रभाव कम होने के बाद भी बाहर से लाए गए मज़दूरों को लेकर कोई कार्य योजना नहीं बनाई गई। नतीजतन जो मजदूर बाहर से लौटे वो दोबारा दूसरे प्रदेश जाने के लिए विवश हुए हैं।

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झामुमो और राजद के बीच अनबन

बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को यूपीए गठबंधन में शामिल नहीं किया गया। सीटों पर बात नहीं बनने से झामुमो ने अकेले ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा। इस प्रकरण से दोनों पार्टिय़ों के बीच तल्खी इतनी बढ़ गई कि, जेएमएम ने आरजेडी को राजनीतिक मक्कार तक कह डाला। हाल ही में तेजस्वी यादव और तेज़ प्रताप यादव पिता लालू प्रसाद से मिलने रांची पहुंचे। हालांकि, दोनों नेताओं ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात नहीं की। पहले रांची आने पर तेजस्वी यादव हेमंत सोरेन से मुलाकात किया करते थे।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट

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