'आपकी नीतियों से रूस-चीन आए करीब',एस जयशंकर की पश्चिमी देशों को दो टूक
Raisina Dialogue: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों की नीतियों को रूस और चीन के करीब आने की वजह बताया। बोले, 'फिर कहते हैं उनके एक साथ आने से सावधान रहें'।
Raisina Dialogue: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने शुक्रवार (23 फरवरी) को मौजूदा भू-राजनीतिक घटनाक्रमों तथा उनके दुष्परिणामों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'रूस शासन कला की एक विशाल परंपरा वाली ताकत है। वह एशिया या विश्व के गैर-पश्चिम हिस्सों की ओर अधिक रुख कर रहा है।
भारतीय विदेश मंत्री ने रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) में मॉस्को और बीजिंग की बढ़ती नजदीकियों के सवाल के जवाब में ये टिप्पणी की।
पश्चिम की नीतियों से करीब आए रूस-चीन, फिर...
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, 'रूस अन्य देशों, खासकर एशिया के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा, 'पश्चिमी देशों की नीतियां रूस और चीन को करीब ला रही हैं। एक तरफ, आपके पास ऐसे लोग हैं जो नीतियां बनाते हैं। दोनों को एक साथ लाते हैं। फिर कहते हैं उनके एक साथ आने से सावधान रहें'। दोनों देशों (रूस-चीन) की नजदीकियों को लेकर यह सवाल ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक माइकल फुलिलोव (Michael Fullilove) ने पूछा था।
'रूस के साथ भारत के संबंध बेहद दोस्ताना'
आपको बता दें, इससे पूर्व एस. जयशंकर (S. Jaishankar News) ने कहा, कि 'रूस के साथ भारत के स्थायी और बेहद दोस्ताना संबंध हैं। रूस ने कभी भी भारत के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया। यूक्रेन (Ukraine) पर मॉस्को (Moscow) के हमले के बावजूद भारत-रूस संबंध मजबूत रहे। ये रिश्ते उस वक़्त मजबूत रहे जब कई पश्चिमी देशों को आपत्तियां थी। बावजूद, भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया।
यूक्रेन-रूसी युद्ध की भारत ने अब तक नहीं की निंदा
दरअसल, लंबे समय से भारत-रूस के रिश्तों पर पश्चिमी देशों का हमला जारी है। कभी भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने तो कभी किसी अन्य मसले पर। खास बात ये है कि, भारत ने अब तक यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा नहीं की है। भारत कहता रहा है कि, युद्ध और संकट को कूटनीति तथा वार्ता के जरिए ही हल किया जाना चाहिए। एस जयशंकर ने भारत की G-20 अध्यक्षता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, किस प्रकार भारत ने समूह के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ (African Union) को शामिल करना सुनिश्चित किया।
...तो UNSC का विस्तार क्यों नहीं हो सकता?
जयशंकर ने आगे कहा, 'यदि G-20 का विस्तार किया जा सकता है तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC के सदस्यों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई जा सकती। उन्होंने ये भी कहा, जब धुंध साफ हो जाएगी और लोग पीछे मुड़कर देखेंगे तो G-20 को देखेंगे और इस तथ्य को देखा जाएगा कि अफ्रीकी संघ की सदस्यता पर सहमति हुई थी'।