आखिर कौन हैं संत रामपाल? ट्विटर टॉप पर कर रहे ट्रेंड, लोग दे रहे भद्दी गालियां
रामपाल की पहचान एक अध्यात्मिक गुरु के तौर पर है। वह कबीर पंथी विचारधारा को मानते हैं। उनका ताल्लुक सोनीपत के धनाना गांव से है। जन्म के बाद से यहीं पर बचपन गुजरा। वह खुद को कबीर का अवतार बताते हैं।
लखनऊ/नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर आज दिन भर एक नाम लगातार ट्रेंड कर रहा है। लोग उसका नाम लेकर उसके बारे में भद्दी गालियां पोस्ट कर रहे है।
उसके विरोध में दिन भर (#Who_Is_SaintRampalJi) हैशटैग चला। इस हैशटैग के साथ लोग रामपाल को गालियां दे रहे है। इस हैशटैग के बाद अब ट्विटर पर #Who_Is_SaintRampalJi ट्रेंड कर रहा है। तो आइये आपको बताते है आखिर कौन हैं संत रामपाल जो सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बने हुए है।
आखिर कौन हैं रामपाल
रामपाल की पहचान एक अध्यात्मिक गुरु के तौर पर होती है। वह कबीर पंथी विचारधारा को मानते हैं। उनका ताल्लुक सोनीपत के धनाना गांव से है। जन्म के बाद से यहीं पर बचपन गुजरा।
वह खुद को कबीर का अवतार बताते हैं। उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की हुई है। जिसे सतलोक आश्रम का नाम दिया गया है। ये आश्रम हरियाणा के पास हिसार में स्थित है।
राम पाल ने शुरूआती पढ़ाई आपने गांव से की उसके बाद हायर एजुकेशन की पढ़ाई के लिए शहर आ गया। उसने पढ़ाई खत्म करने के बाद हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर जॉब की।
एक बार किसी करीबी ने उसकी मुलाकात स्वामी रामदेवानंद महाराज से कराई। रामपाल स्वामी रामदेवानंद से इतना प्रभावित हुआ कि उन्हें अपना गुरु बना लिया।
धीरे धीरे – अध्यात्म की तरफ उसका रुझान बढ़ने लगा और उसने आगे चलकर अपनी नौकरी छोड़ अध्यात्म की ओर कदम बढ़ा दिया। उसके बाद से उसने कुछ लोगों को एकत्र किया और टीम तैयार की। उसके बाद प्रवचन देने का काम करने लगा। उसने करोंथा गांव में सतलोक आश्रम की स्थापना की।
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ये है पूरा मामला
हिसार में बरवाला कस्बे में स्थित रामपाल के सतलोक आश्रम से 19 नवंबर, 2014 को चार महिलाओं और एक बच्चे का शव मिलने के बाद स्वयं-भू बाबा और उसके 27 अनुयायियों पर हत्या तथा लोगों को गलत तरीके से बंधक बनाने का आरोप लगा था।
मालूम हो कि वर्ष 2014 में आश्रम परिसर से रामपाल के 15,000 से ज़्यादा अनुयायियों को खाली कराने को लेकर उसके कुछ समर्थकों और पुलिस के बीच गतिरोध के बाद रामपाल को गिरफ्तार किया गया था. इस गतिरोध ने हिंसक रूप ले लिया जिससे पांच लोगों की मौत हो गई थी।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रामपाल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। रामपाल ने इस आदेश पर अमल के लिए पुलिस की कार्रवाई का प्रतिरोध किया था।
उसने अदालत की अवमानना जैसे आरोपों पर जवाब देने के लिए उच्च न्यायालय में पेश होने से भी इनकार कर दिया था. वह बरवाला हिसार में अपने आश्रम के भीतर छिपा रहा।
रामपाल को नवंबर 2014 में हिसार के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम से गिरफ्तार किया गया था।
हरियाणा के सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में पैदा हुआ रामपाल हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर था। स्वामी रामदेवानंद महाराज के शिष्य बनने के बाद रामपाल ने नौकरी छोड़ प्रवचन देना शुरू किया था। बाद के दिनों में कबीर पंथ को मानने लगा और अपने अनुयायी बनाने में जुट गया।
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स्वामी दयानंद की किताब को लेकर की थी विवादित टिप्पणी
साल 1999 में करौंथा गांव में उसने सतलोक आश्रम का निर्माण किया। 2006 में रामपाल ने आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद की किताब को लेकर विवादित टिप्पणी की। इसके बाद आर्य समाज और रामपाल के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस हिंसा में एक महिला की मौत हो गई थी।
उस वक़्त पुलिस ने रामपाल को हत्या के मामले में हिरासत में लिया। जिसके बाद रामपाल को करीब 22 महीने जेल में काटने पड़े. 30 अप्रैल 2008 को वह जमानत पर रिहा हो गया। इसके बाद साल 2014 में रामपाल मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश नहीं हुआ, जिसके बाद कोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी के आदेश दे दिए।
हालांकि उस दौरान रामपाल के समर्थकों ने पुलिस से हिंसक झड़प की जिसमें करीब 120 लोग घायल हो गए थे. पुलिस और अर्धसैनिक बलों को जवानों ने 12 दिनों बाद उन्हें गिरफ्तार किया। इस दौरान सतलोक आश्रम से पांच महिलाओं और एक बच्चे की लाश भी मिली थी।
रामपाल और उसके अनुयायियों के ख़िलाफ़ 17 नवंबर 2014 को आईपीसी की धारा 186 सरकारी कामकाज के निर्वहन में लोक सेवक को बाधा डालना, 332 जान-बूझकर लोकसेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन में चोट पहुंचाना, 353 लोक सेवक को उसका कर्तव्य पूरा करने से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जानें क्यों ट्रेंड हो रहा #Who_Is_SaintRampalJi
एक अक्टूबर 2019 को कांगड़ा जिले के ग्राम पंचायत पाईसा के निवासियों ने रामपाल का सत्संग नहीं होने दिया गया। जिसके बाद सैंकड़ों लोगों ने मिलकर पहले रामपाल का सत्संग करवाने वाले व्यक्ति चूड़ सिंह को समझाने की कोशिश की।
ग्रामीणों की बात चूड़ सिंह को समझ नहीं आई और वह सत्संग का आयोजन करवाने पर आमदा रहा तब लोगों ने रामपाल के पोस्टर फाड़कर आग के हवाले कर दिया। जिसके बाद ये ट्रेंड हो रहा।
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